आक्रोशित लोगों ने बरबीघा-वारिसलीगंज पथ को किया जाम
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ट्रैक्टर की ठोकर से छात्र की मौत, विरोध में हंगामा
आक्रोशित लोगों ने बरबीघा-वारिसलीगंज पथ को किया जाम शेखोपुरसराय (शेखपुरा) : स्थानीय थाना क्षेत्र के महेश स्थान चौक से कुछ ही दूरी पर छात्र को अनियंत्रित ट्रैक्टर ने ठोकर मार दी, जिससे घटनास्थल पर उसकी मौत हो गयी. इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने बरबीघा-वारिसलीगंज मार्ग को घंटों जाम रखा. आक्रोशितों में जुटी दर्जनों महिलाओं ने थाने […]
शेखोपुरसराय (शेखपुरा) : स्थानीय थाना क्षेत्र के महेश स्थान चौक से कुछ ही दूरी पर छात्र को अनियंत्रित ट्रैक्टर ने ठोकर मार दी, जिससे घटनास्थल पर उसकी मौत हो गयी. इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने बरबीघा-वारिसलीगंज मार्ग को घंटों जाम रखा. आक्रोशितों में जुटी दर्जनों महिलाओं ने थाने को भी घुस कर हंगामा किया. गांव के शंकर कुमार ने बताया कि उसका भतीजा शुक्रवार की सुबह ट्यूशन पढ़ने के लिए क्षेमा गांव से शेखोपुरसराय आया था. वहां से लौटने के दौरान मिट्टी गिरा कर लौट रहे ट्रैक्टर ने उसे ठोकर मार दी. घायल छात्र को आसपास के लोगों ने पीएचसी में भर्ती कराया. ग्रामीणों के इस बात की सूचना मिली तो आनन-फानन में शेखोपुरसराय में इलाज हो रहे छात्र को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. इलाज के दौरान ही घायल छात्र की मौत हो गयी.
मृतक क्षेमा गांव निवासी अनिल राउत का पुत्र रंजन कुमार था. परिजनों ने इसकी सूचना शेखोपुरसराय पुलिस को दी. शेखोपुरसराय पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा. इससे आक्रोशित लोगों ने बरबीघा-वारिसलीगंज पथ को घंटों जाम रखा. आक्रोशित लोग ट्रैक्टर समेत चालक को गिरफ्तार करने और मुआवजा देने की मांग कर रहे थे.
नाराज ग्रामीणों ने थाने में किया हंगामा : घटना से आक्रोशित लोगों ने शेखोपुरसराय थाने के आगे भी शव को रखकर हंगामा किया. सभी मुआवजे की मांग कर रहे थे. वहां उपस्थित जनप्रतिनिधियों एवं थाने में मौजूद अफसरों ने सूझबूझ से आक्रोशित लोगों को शांत कराया. मौके पर मौजूद प्रखंड विकास पदाधिकारी चंद्र मोहन पासवान ने आक्रोशित लोगों को शांत कराते हुए मुख्य सड़क पर से जाम हटवाते हुए कहा कि मृतक के आश्रित को राशि दी जानी है. जो वितीय प्रभार मिलने के बाद दे दिया जायेगा. इधर, प्रभारी थानाध्यक्ष शेष हाजरा ने इस मामले की प्राथमिकी दर्ज नहीं करायी गयी है.
पढ़ा-लिखा कर अफसर बनाने का टूटा सपना : परिजनों ने बताया कि अनिल राउत का तीन पुत्रों में सबसे छोटा पुत्र रंजन कुमार था. उससे बड़े दो भाई गरीबी के कारण पढ़ नहीं सके और परिवार चलाने के लिए मजदूरी करते हैं. पिता कोलकाता में मजदूरी कर छोटे बेटे को पढ़ा- लिखा कर इंजीनियर बनाने का सपना देख रहे थे, जो टूट गया. वह गांव से पांच किलोमीटर दूर नीमी उच्च विद्यालय में दाखिला लिया था. उसे कोचिंग में दाखिला दिलाया गया था. रोज की तरह रंजन शुक्रवार की सुबह घर से शेखोपुरसराय कोचिंग से पढ़ कर पुनः अपने घर को चला पर ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था.
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