विरोध. डीएम को आवेदन सौंप कर पत्थर उद्योग में रोजगार सुनिश्चित कराने की रखी मांग
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स्टोन कंपनियों के कारोबार ठप करेंगे मजदूर
विरोध. डीएम को आवेदन सौंप कर पत्थर उद्योग में रोजगार सुनिश्चित कराने की रखी मांग खेती-बाड़ी में नुकसान के बाद बेरोजगार हुए मजदूर हो रहे गोलबंद शेखपुरा : जिले की खेतीबाड़ी में भारी नुकसान, पत्थर उद्योग की नई नीति में बड़ी कंपनियों के निवेश से बेरोजगार हुए हजारों मजदूरों ने अपने रोजगार के हक के […]
खेती-बाड़ी में नुकसान के बाद बेरोजगार हुए मजदूर हो रहे गोलबंद
शेखपुरा : जिले की खेतीबाड़ी में भारी नुकसान, पत्थर उद्योग की नई नीति में बड़ी कंपनियों के निवेश से बेरोजगार हुए हजारों मजदूरों ने अपने रोजगार के हक के लिए गोलबंदी दिखानी शुरू कर दिया है. मजदूरों की यह गोलबंदी कारे पंचायत से शुरू हुई है. जहां लगभग आधे दर्जन बड़ी और बाहरी कंपनियां पत्थर उत्खनन का काम कर रही है. दरअसल रोजगार की मांग कर रहे इन मजदूरों ने जो सवाल खड़े किए हैं, उसमें जिले की खनन विभाग और जिला प्रशासन के समक्ष भी बड़ी चुनौती रखी है.
रोजगार की मांग कर रहे मजदूरों ने साफ लहजे में कहा कि राज्य सरकार ने बड़ी कंपनियों को पहाड़ी भूखंड उपलब्ध कराने के समय शर्त रखा था कि यहां पत्थर उत्खनन के कार्य में मशीनरी के साथ कम से कम 50 मजदूरों की भागीदारी हो, लेकिन यहां पर काम कर रहे बड़ी कंपनियां इस शर्तों का पालन नहीं कर रही है. ऐसी स्थिति में पिछले कई माह से बेरोजगारी की मार झेल रहे कारे पंचायत के लगभग पांच हजार मजदूरों ने रोजगार पाने के लिए गोलबंदी शुरू कर दी है.
कारे पंचायत के सुदासपुर गांव की सुमित्रा देवी व लाखपति देवी कहते हैं कि इलाके में फिलहाल कोई रोजगार का साधन ही नहीं दिख रहा. इसके पहले कभी भी बेरोजगारी की स्थिति हुई तो दूसरे राज्यों में ईंट भट्ठों पर भी काम कर ले लेते थे. लेकिन अब वह भी सुरक्षित नहीं रहा. ईट भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों की हत्या कर लाश को भी लापता कर दिया जाता है. ऐसी स्थिति में जहां तक शेखपुरा की बात करें तो यहां प्याज की खेती में कृषकों को बाजार भाव के कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ा.
जिससे किसान भी खेती करने का हिम्मत नहीं जुटा रहे. इतना ही नहीं पंचायत में आधे दर्जन बड़े स्टोन कंपनियां के क्रशरों के संचालन से पंचायत के हजारों एकड़ जमीन बंजर हो गये. ऐसी स्थिति में खेतीबाड़ी का भी कोई विकल्प नहीं मिल रहा है. ऊपर से यहां पत्थर का कारोबार भी बड़ी कंपनियों के हाथों में दे दिया गया. बड़ी कंपनियां भी विभाग द्वारा निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं कर रहे. मजदूरों की भागीदारी नहीं के बराबर होने से यहां हजारों मजदूर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.
ऐसी परिस्थिति में पत्थर उत्खनन में ही अपना रोजगार सुनिश्चित कराने की दिशा में मजदूरों ने गोलबंदी शुरू कर दी है.जिले में बेरोजगारी का आलम झेल रहे पत्थर मजदूरों में सूदशपुर गांव के सुमित्रा देवी,लाखपति देवी, सविता देवी,जयंती देवी,फुलवा देवी,श्रद्धा देवी समेत अन्य मजदूरों ने कहा कि पहाड़ी भूखंडों में विभागीय मापदंड के मुताबिक अगर मजदूरों की भागीदारी सुनिश्चित कर रोजगार नहीं दिया गया, तब एक सप्ताह के अंदर सारे पहाड़ी भूखंडों में संचालित कंपनियों के प्लांटों का आवागमन को ठप कर दिया जायेगा. रास्ते को क्षतिग्रस्त कर उत्खनन कार्य बाधित करने के साथ-साथ कंपनियों का भी चक्का जाम कर दिया जायेगा.
माइनिंग प्लान के लिए क्या है नियमावली
जिले में पत्थर उत्खनन कार्य के लिए नयी नीति के तहत बड़ी व बाहरी कंपनियों को 12 एकड़ पहाड़ी की प्रति भूखंड बंदोबस्ती करायी गयी है. ऐसी स्थिति में नियमावली पर अगर नजर डालें तो पांच सालों के लिस्ट अवधि में लगभग 4.5 लाख एम क्यू पत्थर का उत्खनन करना है.साल के 365 दिनों में मात्र 295 दिन ही पत्थर उत्खनन का कार्य दिन के उजाले में ही करना है. पत्थर उत्खनन कार्य के लिए प्रत्येक कंपनियों को कम से कम 50 मजदूरों की भागीदारी सुनिश्चित करनी है.
इसके साथ ही पर्यावरण मापदंडों का पालन करने के लिए पहाड़ी भूखंडों में ग्रीन बेल्ट एरिया डेवलप करने के लिये पौध रोपन,प्लांट के समक्ष पानी के फब्बारे की व्यवस्था करना है. इतना ही नहीं पत्थर उत्खनन कार्य के लिए लगाये गये मजदूरों को सुरक्षा व प्रारंभिक उपचार से जुड़े कई महत्वपूर्ण साधन भी मुहैया कराना है.
क्या कहते हैं अधिकारी
माइनिंग प्रावधान में अगर मजदूर रखने का नियम है तो उसकी समीक्षा कर अक्षर सह पालन किया जायेगा. लंबे समय से जिला खनन अधिकारी का पद रिक्त रहने से कुछ त्रुटियां हुई होगी. इसे अविलंब पालन किया जायेगा.
ज्ञान प्रकाश, जिला खनिज विकास पदाधिकारी, शेखपुरा.
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