शिवहर : अप्रैल माह के प्रारंभ होते हैं बढ़ती हुई धूप की गरमी भूगर्भीय जलस्त्रोत में कमी की का पैमाना माना जा रहा है. जिले के लोग धूप में आयी गरमी से हलकान नजर आने लगे है.
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गरमी से पारा 40 डिग्री पार, लोग तलाश रहे छांव
शिवहर : अप्रैल माह के प्रारंभ होते हैं बढ़ती हुई धूप की गरमी भूगर्भीय जलस्त्रोत में कमी की का पैमाना माना जा रहा है. जिले के लोग धूप में आयी गरमी से हलकान नजर आने लगे है. ग्रामीणों की माने तो भूगर्भीय जलस्त्रोत में कमी की बात भी सामने आने लगी है. कारण कि चापाकल […]
ग्रामीणों की माने तो भूगर्भीय जलस्त्रोत में कमी की बात भी सामने आने लगी है. कारण कि चापाकल का जल स्तर भी गिरने लगा है. नदी व तालाब के जलस्तर में भी तेजी से गिरावट हो रहा है. जिला सांख्यिकी पदाधिकारी वैसूर रहमान अंसारी की माने तो जिले का तापमान 40 डिग्री सेल्सिएस से अधिक हो गया है. ऐसे में गरमी में बढ़ोतरी लाजिमी है.बताते चलें कि जिले में गेहूं की कटनी चल रही है. किसानों के लिए धूप के बावजूद खेत में जाना लाचारी है.
इधर तापमान भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है .ऐसे में किसान 10 बजे के बाद खेतों में नजर नहीं आ रहे हैं. बल्कि10 बजे के बाद पेड़ों के पास छांव तलाशने लग रहे हैं जिससे कृषि कार्य भी प्रभावित हो रहा है .वही नगर में भी लोगों का आना जाना कम हो गया है .करीब 11 बजे से लेकर चार बजे के बीच में नगर में सन्नाटे की स्थिति कायम हो जा रही है.
तेज पछुआ हवा ने गरमी को और बढ़ा दिया है .अस्पतालों में डायरिया के मरीजों की संख्या दिखाई देने लगी है .ऐसे में स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है. सदर अस्पताल के डीएस डॉक्टर मेहदी हसन का कहना है कि अस्पताल में 24 घंटा मरीजों की सेवा के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध है. डायरिया से निपटने के लिए भी दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है. कहां की बढ़ती हुई गरमी को लेकर लोगों को अधिक से अधिक पानी का सेवन करना चाहिए .क्योंकि जल के सेवन से जीवन को बचाया जा सकता है. धूप से बचने के लिए पानी का सेवन बहुत जरूरी है .
जल का सेवन करके ही शरीर में उत्पन्न हाेनेवाले निर्जलीकरण की स्थिति से बचा जा सकता है. इस मौसम में छोटे बच्चों पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए .कारण कि गरमी से बच्चों पर डायरिया का संक्रमण जल्दी होता है. डॉ हसन ने कहा कि मक्खी भी डायरिया का वाहक है . इसलिए हमेशा ताजा खाना का इस्तेमाल करें.अगर खाना पर मक्खी बैठता हो तो उसे खाना को खाने से बचे. घरों के अगल-बगल में साफ सफाई रखना भी बहुत जरुरी है. स्वच्छता से भी विभिन्न बीमारियों से बचा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि खाना खाने से पहले एवं शौच के बाद साबुन से हाथ धोना अनिवार्य है. उन्होंने लोगों को धूप से बचने की सलाह देते हुए कहा कि तापमान बढ़ने के कारण लू का खतरा बहुत बढ़ गया है. ऐसे में लू से बचने के लिए धूप से बचना जरूरी है .अगर बाहर निकलना आवश्यक हो तो पानी पी कर ही बाहर निकलें .लू लगने की स्थिति में आम के शरबत का इस्तेमाल काफी लाभप्रद होता है .उन्होंने कहा कि लोग लू लगने के बाद शरीर का पारा कम करने के लिए बर्फ की भी इस्तेमाल करते हैं .
डॉक्टर ने कहा नमक और चीनी का घोल निर्धारित मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए. ओआरएस का घोल भी प्रयोग में लाना चाहिए.कहा कि डायरिया की स्थिति में निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर तुरंत पहुंचना चाहिए. ताकि समय रहते चिकित्सा सुविधा मुहैया करायी जा सके. डॉक्टर हसन ने कहा कि आमतौर पर लोग शौचालय का टैंक के पास चापाकल गाड़ देते हैं .शौचालय का टैंक करीब 15 फिट का होता है. जिसका दूषित जल नीचे अंदर काफी गहराई तक के क्षेत्र को प्रभावित करता है. ऐसे में शौचालय टैंक के पास चापाकल गाड़ने वाले लोग दूषित पानी ही पी पाते हैं .जिसका प्रतिकूल प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है. कहा कि चापाकल की गाड़ कम से कम 200 फीट करायें. उसके बाद ही चापाकल का पानी इस्तेमाल करें.
स्वच्छ जल के लिए वाटर फिल्टर का इस्तेमाल करें. इस मौसम में अधिक से अधिक जल का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है .इधर गरमी के कारण ठंड पेय पदार्थों की बिक्री तेज हो गयी है.
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