शिवहर : नगर पंचायत द्वारा शहर को स्वच्छ व स्वस्थ्य बनाने का दावा किया जा रहा है. नगर प्रशासन के कर्मियों द्वारा स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए लगातार शहर में साफ-सफाई का कार्य किया जा रहा है. जबकि शिवहर को जिला बनने के करीब 25 वर्ष बाद भी शहर में लोग खुले में (लघुशंका) करने को विवश हैं.
अब तक शहर को खुले में लघुशंका से मुक्ति दिलाने के लिए भी कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है. एक तरफ सरकार साफ-सफाई व स्वच्छता पर लगातार जोर दे रही है, दूसरी ओर शहर के प्रमुख चौक चौराहों के अलावा बस स्टैंड हो या सार्वजनिक स्थानों पर भी यूरिनल की व्यवस्था नहीं है. जिसका परिणाम यह है कि शहर के विभिन्न गली मोहल्ले में लोग धड़ल्ले से लघुशंका करते दिख ही जाते हैं. जिसकी बदबू पूरे वातावरण में फैलती है. मौजूदा स्थिति में शहर की आबादी बढ़ी है. वही ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में लोग शहर में मार्केटिंग के लिए आते हैं.
यूरिनल की व्यवस्था नहीं होने के कारण शहर के लोगों के साथ-साथ मार्केटिंग के लिए गांव से आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि शहर के गुदरी बाजार, पुराने सदर अस्पताल के पास, गांधी चौक से पूर्व, समाहरणालय समेत तीन-चार जगहों पर सरकारी व गैर सरकारी शौचालय जरुर है. जहां लोग पैसा देकर शौच कर सकते हैं. लेकिन परेशानी का आलम यह है कि यूरिनल के अभाव में लोग सड़क किनारे या किसी दीवार की आड़ में (लघुशंका) करते हैं. खास कर बाजार हो या विभिन्न चौक चौराहों पर महिलाओं को और भी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
दरअसल यूरिनल के अभाव में पुरुष तो सड़क किनारे खुले में भी (लघुशंका) कर लेते हैं. परंतु महिलाओं को इसके लिए खास जगह ढूंढ़ना पडता है. बताते चले कि नगर पंचायत के प्रयास की बात करें तो नगर पंचायत द्वारा शहर में एक भी महिला या पुरुषों के लिए यूरिनल नहीं बनाया गया है. परंतु बनाए गए सरकारी व गैर सरकारी शौचालय में न तो पानी की व्यवस्था है और न ही नियमित रूप से साफ-सफाई होती है.
