पुपरी : अनुमंडल मुख्यालय से सटे पुपरी गांव में प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी दाता चंगुल शाह का उर्श धूम-धाम से मनाया जा रहा है.
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मजार पर होती है हर किसी की मुराद पूरी
पुपरी : अनुमंडल मुख्यालय से सटे पुपरी गांव में प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी दाता चंगुल शाह का उर्श धूम-धाम से मनाया जा रहा है. बताया गया कि मुरादें पूरी होने पर भारी संख्या में श्रद्धालु व अकीदतमंद यहां आ कर व फातेहा पढ़ कर ज़्यारत करते हैं व अपनी मुरादें पाते हैं. […]
बताया गया कि मुरादें पूरी होने पर भारी संख्या में श्रद्धालु व अकीदतमंद यहां आ कर व फातेहा पढ़ कर ज़्यारत करते हैं व अपनी मुरादें पाते हैं. मुरादें पूरी होने के बाद चादर पोशी भी करते हैं.
मज़ार के मुजाबीर शाकिर मस्तान बताते ने बताया कि दाता चंगुल शाह बहुत बड़े बुज़ुर्ग हस्ती थे. एक समय की बात है कि वे अपने कुछ अनुयायियों साथ बात हीं बात में किसी ने कह दिया कि आप तो बहुत बड़े बुज़ुर्ग हैं. आप बांस पर चढ़ कर दिखा सकते हैं. इसी बात पर एक बील्कुल प्लेन बांस पर अपने चंगुल के सहारे चढ़ गये.
उसी समय से उनका नाम चंगुल शाह पड़ गया. उनका उर्श ईद की तीसरी तारीख से शुरू हो कर पांचवीं तारीख तक लगता है.
शुक्रवार को अंतिम उर्श है. दिन भर बाहरी अकीदत मंदों के द्वारा चादर पोशी किया जायेगा. देर रात में मुजाबीर शाकिर मस्तान व उनके रिश्तेदारों द्वारा चादरपोशी किया जायेगा, जिसे घरैया चादर बोला जाता है.
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