सदर अस्पताल में सर्दी, खांसी व वायरल बुखार के पहुंच रहे सबसे अधिक मरीज प्रतिनिधि, सासाराम सदरबदलते मौसम के साथ तापमान में उतार-चढ़ाव जारी है. दिन में हल्की गर्मी और शाम को कनकनी के कारण लोग सर्दी को लेकर लापरवाह हो जा रहे हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. मौसम बदलते ही सरकारी अस्पताल से लेकर निजी क्लीनिकों में मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. सबसे ज्यादा सर्दी, जुकाम, बुखार और हृदय रोगी सदर अस्पताल पहुँच रहे हैं. मौसम का यह परिवर्तन श्वास, ब्लड प्रेशर और हृदय रोगियों के लिए अधिक घातक साबित हो रहा है. अस्पतालों में वायरल बुखार, खांसी, बदन दर्द, जोड़ों के दर्द और सांस फूलने से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है. शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के निजी क्लीनिकों में भी मरीजों की भीड़ प्रतिदिन बढ़ रही है. पिछले एक सप्ताह से वायरल बुखार का प्रकोप तेजी से फैला है, जो बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी को अपनी चपेट में ले रहा है. बुखार के उतरने के बाद भी अधिकांश मरीज कमजोरी, खांसी और गले में तेज दर्द की शिकायत कर रहे हैं. वायरल बुखार के साथ सिरदर्द, पेट संबंधी दिक्कतें और सांस से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ गयी हैं.
क्या कहते हैं डॉक्टर
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. बिके पुष्कर ने बताया कि शरीर में तेज दर्द, गले में खराश, त्वचा पर हल्के धब्बे, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, कमजोरी, सिरदर्द, तेज बुखार और खांसी वायरल बुखार के प्रमुख लक्षण हैं. उन्होंने कहा कि इस मौसम में बुखार होते ही तुरंत इलाज आवश्यक है. पीड़ित से हाथ मिलाने, छींकने या नजदीक रहने से संक्रमण फैल सकता है, इसलिए सावधानी जरूरी है.
शिशुओं की देखभाल सबसे जरूरी
डॉ. पुष्कर ने बताया कि वायरल फीवर उन लोगों को अधिक प्रभावित करता है जिनकी इम्युनिटी कमजोर है. ऐसे में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कर प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि बदलते मौसम में शिशुओं की देखभाल सबसे जरूरी है, क्योंकि वे अपने शरीर का तापमान नियंत्रित नहीं कर पाते. अभिभावक सोते समय शिशु के तापमान का विशेष ध्यान रखें. मौसम को लेकर लापरवाही बरतने वाले लोग ही सबसे ज्यादा बीमार पड़ते हैं.
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