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कृषि विभाग का खेल, कागज पर ही बिछा दी हरी चादर

बीज वितरण में फिर विभाग में कुछ इधर-उधर हुआ है. इसमें बड़ा घोटाला सामने आने की संभावना है. इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारियों पर गाज भी गिर सकती है, क्योंकि जिस योजना के तहत अनुदानित दर पर किसानों तक बीज पहुंचाना था, उस हरी चादर को विभाग के द्वारा कागज पर ही बिछा दिया गया और किसानों तक बीज नहीं पहुंचा.

सासाराम ग्रामीण. बीज वितरण में फिर विभाग में कुछ इधर-उधर हुआ है. इसमें बड़ा घोटाला सामने आने की संभावना है. इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारियों पर गाज भी गिर सकती है, क्योंकि जिस योजना के तहत अनुदानित दर पर किसानों तक बीज पहुंचाना था, उस हरी चादर को विभाग के द्वारा कागज पर ही बिछा दिया गया और किसानों तक बीज नहीं पहुंचा. मामला है हरी चादर योजना के तहत ढैंचे के बीज वितरण से जुड़ा है. सरकार किसानों को ढैंचे की खेती की ओर प्रोत्साहित करने के लिए एक नयी सब्सिडी योजना संचालित कर रही है. इसका नाम बिहार हरी खाद योजना है. इस योजना के तहत किसानों को ढैंचे की खेती करने के लिए 90 फीसदी तक का बीज अनुदान दिया जा रहा था. यह जैविक फसल है, जिसकी खेती से भूमि को पोषण प्राप्त होता है. इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है, इसलिए सरकार इस फसल की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. लेकिन, विभागीय अधिकारियों के कारण इसका लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है.

ढैंचे की फसल से किसानों के खेतों में रसायनिक खाद का प्रयोग कम होगा और उर्वरा शक्ति मजबूत होगी. इसके लिए किसानों के नामों को बीज वितरण सूची में डाल दिया गया, लेकिन उन्हें हरी खाद नहीं मिली, जो गंभीर सवाल है. किसानों ने कहा कि हमें ढैंचा खाद मिली ही नहीं. लेकिन, हमारे नाम पर बहुत फर्जी तरीके से काम विभाग के द्वारा किया जा रहा है. प्रभात खबर प्रतिनिधि ने सदर प्रखंड की विभिन्न पंचायतों के किसानों से बात की, तो खुलासा हुआ कि जिन किसानों के नाम बीज प्राप्ति की सूची में हैं, उन्हें उन्हें बीज मिला ही नहीं है. इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी (डीएओ) राम कुमार ने बताया कि जिले में ढैंचा बीज का वितरण कराया जा चुका है. यदि किसी किसान का नाम वितरण सूची में है और उन्हें बीज मिला ही नहीं है, तो इसकी जांच करायी जायेगी.

गरमा मूंग में भी हुआ था विभाग में खेल, पर सब है मौन

जिला कृषि विभाग में ऐसा लग रहा है कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. अधिकारी योजनाओं की जानकारी देने में टालू नीति के साथ अपने अधिकार व कर्तव्य को भी भूला दे रहे हैं. जानकारों की मानें, तो गरमा मूंग के बीज की तरह ढैंचे के बीज वितरण में सबकुछ ठीक नहीं है, क्योंकि गरमा मूंग की खेती जिले में कितने हेक्टेयर में हुई, इसका अब तक विभाग जानकारी नहीं दे सका. उसी तरह ढैंचे के बीज वितरण में बड़ा खेल सामने आ सकता है. कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा यह नहीं बताया गया कि किन प्रखंडों में कितने किसान लाभान्वित हुए. इसकी विभाग गोपनीयता बरत रहा है. बीज वितरण में कहीं बड़ा घोटाला तो नहीं हुआ है. या फिर बीज वितरण को विभाग पेपर पर ही सिमटा दिया गया, क्योंकि धरातल पर कहीं ढैंचे का बीज दिखाई नहीं दे रहा है.

डीएओ पर पूर्व से ही बीज गुणवत्ता में गड़बड़ी का है आरोप

डीएओ राम कुमार रोहतास पदस्थापन से पूर्व अररिया जिले में अनुमंडल कृषि पदाधिकारी के पद पर कार्यरत थे. वहां उनके विरुद्ध जीरो टॉलरेंस पर कार्य करने में शिथिलता व बीज गुणवत्ता प्रक्षेत्र में भारी गड़बड़ी करने का आरोप गठित है. इसकी जांच चल ही रही है. कहीं इसी तरह के बीज वितरण में गड़बड़ी तो जिले में नहीं हुई है. ऐसा कयास लगाया जा रहा है. यदि ऐसा जिले में हुआ होगा, तो कार्रवाई से इन्कार नहीं की जा सकती है. इ

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Prabhat Khabar News Desk
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