फोटो-30- गीता घाट आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सुनती श्रद्धालु प्रतिनिधि, सासाराम सदर श्रीकृष्ण का जन्म केवल एक घटना नहीं है, बल्कि यह धर्म की स्थापना और प्रेम की विजय का प्रतीक है. भगवान का आना यह संदेश देता है कि जब-जब संसार में अधर्म बढ़ेगा, तब-तब वे अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होंगे. उक्त बातें शहर के गीता घाट आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने कही. जन्मोत्सव से पहले स्वामीजी ने भरत की कथा और अन्य चरित्रों का वर्णन किया. जिसमें त्याग, वैराग्य और सरल जीवन शैली का महत्व बताया गया. उन्होंने कहा कि भागवत का उद्देश्य हमें संसार की मोह-माया से निकालकर प्रभु के चरणों में लगाना है. स्वामीजी की अमृतवाणी और जन्मोत्सव के इस अद्भुत आयोजन ने सभी श्रोताओं को अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया. इस दौरान जन्मोत्सव की खुशी में पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं पर फूलों और माखन-मिश्री की वर्षा की गयी. कई भक्त पारंपरिक वेशभूषा में सज सवर कर उत्सव में शामिल हुए. भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम और उल्लास के साथ मनाया गया. जहां कथा में शामिल सैकड़ों भक्त इस अलौकिक क्षण के साक्षी बने.
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