चेनारी. मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण पिछात सरसों की फसल पर लाही कीट का प्रकोप बढ़ गया है. पौधों में तैयार हो रही डीडियों से कीट रस चूस रहा है. ऐसे में दानों का विकास प्रभावित होने की आशंका बढ़ गयी है. लाही कीट के बढ़ते प्रसार के कारण मेहनत और पूंजी लगाकर तेलहन की खेती करने वाले किसान चिंता में पड़े हैं. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और समय पर मौसम का साथ न मिलने के कारण इसबार प्रखंड के किसानों ने दलहन की खेती में विशेष रुचि ली है. करीब 1978 हेक्टेयर राइ व सरसों की खेती की गयी है. थोड़ी राहत यह कि अगात सरसों की फसल अच्छी हुई है. 25 फीसद हार्वेस्टिंग भी हो चुकी है. समस्या यह कि देर से सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए लाही कीट मुसीबत बन गयी है. प्रखंड के प्राय: भागों में कीट का असर दिख रहा है. उगहनी के किसान जयराम शर्मा, नायकपुर के बबलू सिंह यादव, मल्हीपुर के कमलेश सिंह, संजय सिंहश मनोज कुमार सहित अन्य किसानों बताते हैं कि पौधों में फूल झड़ गये हैं. डीडियां लग चुकी हैं. समस्या यह कि बदलते मौसम के साथ लाही का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. जल्द रोकथाम नहीं हुई तो उपज पर प्रतिकूल असर पड़ता है. आम के पेड़ों पर दहिया कीट का प्रकोप : आम के पेड़ों में मंजर लगते ही दहिया कीट का प्रकोप भी बढ़ने लगा है. इससे बागवान चिंता में हैं. दहिया कीट निकल रहे मंजर के रस चूस रहे हैं. इसकी वजह से मंजर बर्बाद हो रहे हैं. बागवानों का कहना है कि जल्द कीट का प्रबंधन नहीं किया गया, तो फल कम लगेंगे और बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा. बागवानों का कहना है कि पिछले साल मधुआ कीट के कारण आम की फसल तबाह हुई थी. इसबार दहिया कीट कहर बरपा रहा है. पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक संतोष कुमार कहते हैं कि मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण कीट का प्रसार हो रहा है. कीट से फसल को नुकसान: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तकनीकी पदाधिकारी धनंजय कुमार बताते हैं कि लाही एक रस चूसक कीट है. यह फसल और उसमें लगे डीडियों के रस चूस जाता है. इससे पौधे अस्वस्थ हो जाते हैं और दाने का विकास रूक जाता है. समय पर रोकथाम के उपाय नहीं किये गये तो फसल बर्बाद हो जाती है. नुकसान से बचना है, तो करें ये उपाज पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक संतोष कुमार बताते हैं कि कई किसानों ने सरसों की फसल पर लाही कीट का प्रकोप जिन खेतों में दिख रहा है. इसमें इमीडाक्लोरोपिड एक एमएल प्रति तीन लीटर पानी और सल्फर तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से फसलों का बचाव होगा.
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