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एएनएम स्कूल की चहारदीवारी नहीं होने से छात्राएं असुरक्षित

बिक्रमगंज एएनएम कॉलेज का परिसर बेहतर और अत्याधुनिक है. लेकिन, कॉलेज की बाहरी चहारदीवारी नहीं होने से छात्राओं में असुरक्षा का भाव बना रहता है. हालांकि, कोई ऐसी अप्रिय घटना आज तक नहीं घटी है. लेकिन, कोलकाता वाले हादसे के बाद छात्राओं के मन में भय व्याप्त रहता है.

बिक्रमगंज. बिक्रमगंज एएनएम कॉलेज का परिसर बेहतर और अत्याधुनिक है. लेकिन, कॉलेज की बाहरी चहारदीवारी नहीं होने से छात्राओं में असुरक्षा का भाव बना रहता है. हालांकि, कोई ऐसी अप्रिय घटना आज तक नहीं घटी है. लेकिन, कोलकाता वाले हादसे के बाद छात्राओं के मन में भय व्याप्त रहता है. कॉलेज की प्राचार्या प्रीती गुप्ता बताती हैं कि कॉलेज की छात्राएं पढ़ाई के बाद अस्पताल में प्रेक्टिकल को जाती हैं. ये वहां दो बजे तक रहती हैं, फिर वापस लौट जाती हैं. इसके बाद कॉलेज का बाहरी गेट बंद हो जाता है, जो अगले दिन सुबह ही खुलता है. अगर कॉलेज की चहारदीवारी होती, तो लड़कियां गेम खेल सकती थीं. लेकिन, चहारदीवारी नहीं होने से लड़कियां अपने-अपने कमरे में ही कोई खेल खेलती हैं. उन्होंने बताया कि कॉलेज के पीछे वाला भाग बिल्कुल खुला है. अस्पताल व कॉलेज के पीछे एक बड़ा सा मैदान है, जहां स्थानीय लड़के खेल खेलते हैं. इस दिशा से चारदीवारी नहीं होने से खेल-खेल में आये बॉल से खिड़कियों के शीशे भी चनकते रहते हैं. इसकी शिकायत भी हम किसी से नहीं कर सकते.

डीएम ने चहारदीवारी बनवाने का दिया था आश्वासन

जब दो साल पहले तत्कालीन जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार यहां आये थे, तब उन्होंने चहारदीवारी को लेकर अश्वस्त किया था. इसके बाद तत्कालीन एसडीएम उपेंद्र पाल की पहल पर नगर पर्षद के इंजीनियरों ने इसका डीपीआर भी तैयार कर लिया था. फिर भी न जाने प्रस्ताव क्यों ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. आज फिर से उसकी डीपीआर बनाने की तैयारी हो रही है.

आवारा व पालतू मवेशियों की होती है आवाजाही

एक बार चर्चा आयी थी की जिलाधिकारी रात में अस्पतालों का औचक निरीक्षण करेंगे. लेकिन, यहां अनुमंडलयी अस्पताल में तो किसी भी समय, कहीं से भी, कोई भी बेखौफ आ कर अस्पताल का जायजा ले सकता है. साथ ही जो जी चाहे उसे उठा कर ले भी जा सकता है. क्यों कि यह अस्पताल चारो तरफ से एक दम खुला है. अब भला उसमें दो चार गार्ड क्या कर सकते हैं. ऐसा कहना है अनुमंडलीय अस्पताल के कर्मियों का कर्मियों का कहना है कि इसी अस्पताल परिसर में एएनएम प्रशिक्षण केंद्र खुला है, जहां आवासीय व्यवस्था में 60 लड़कियों का रहना व पढ़ना है. चहारदीवारी नहीं होने के कारण भय से यह लड़कियां अपने प्रशिक्षण बिल्डिंग से बाहर कदम भी नहीं रखतीं. क्यों कि चहारदीवारी नहीं होने से इनको बिल्डिंग से बाहर निकलने पर पाबंदी है.

अनुमंडलीय अस्पताल का ओपीडी कोविड को सुरक्षित अस्पताल में

अनुमंडलीय अस्पताल उपाधीक्षक डॉ ओम प्रकाश ने बताया कि जिस बिल्डिंग में अनुमंडलीय अस्पताल का ओपीडी चल रहा है, यह कोविड अस्पताल के तौर पर 50 बेड वाला कोविड अस्पताल है. जहां आजकल ओपीडी चल रहा है. हालांकि, यह पूर्णतः अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. लेकिन इसे कोविड जैसी महामारी में इमरजेंसी सेवा के लिए बनाया गया था. अनुमंडलीय अस्पताल के पास एक और बिल्डिंग है. इसमें सर्जरी और जांच चलता है. अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में कोविड अस्पताल, एएनएम प्रशिक्षण विद्यालय के साथ पीएचसी, और सर्जरी बिल्डिंग है. लेकिन, अनुमंडलीय अस्पताल का अपना खुद का भवन अब तक नसीब नहीं.

चहारदीवारी की ही वजह से राज्य में टॉपर अस्पताल बनने से हुआ था वंचित

अनुमंडलीय अस्पताल उपाधीक्षक डॉ ओम प्रकाश का कहना है कि साज-सज्जा और रखरखाव का आंकलन करने वाली टीम अनुमंडलीय अस्पताल का आंकलन करने लगातार कई वर्षों से आ रही है. हर साल इसे स्टेट टॉपर होने का आश्वासन भी मिलता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि यह अनुमंडलीय अस्पताल टॉपर की लिस्ट में अब तक शामिल नहीं हो सका. टॉपर की श्रेणी में रखे जानेवाले वह सभी चीज बेहतरीन होने के बावजूद इस अस्पताल को टॉपर होने से अगर कोई रोक रहा है, तो वह है चारदीवारी है. अगर चारदीवारी हो जाये, तो निश्चित ही यह अस्पताल स्टेट टॉपर होने का माद्दा रखता है.

जिलाधिकारी ने कहा था काली स्थान से सीधे जुड़ेगा अस्पताल

अस्पताल उपाधीक्षक डॉ ओमप्रकाश ने बताया कि करीब दो साल पहले जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार यहां आये थे, तब उन्होंने कहा था कि अनुमंडलीय अस्पताल को बिक्रमगंज-नटवार रोड में काली स्थान से सीधे जोड़ा जायेगा. इससे यह अस्पताल मुख्य मार्ग से सीधे जुड़ जायेगा. साथ ही अस्पताल की चहारदीवारी जल्द ही कार्रवाई की जायेगी. लेकिन वह भी नहीं हो सका.

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