मांझी. किसानों और कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केंद्र, मांझी द्वारा सोमवार को पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन जिला कृषि पदाधिकारी मधुरेंद्र कुमार सिंह, केवीके के वरीय वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार राय, उद्यान विशेषज्ञ डॉ जितेन्द्र चंदोला, पौध संरक्षण विशेषज्ञ डॉ जीर विनायक, कृषि अभियांत्रिकी विशेषज्ञ डॉ सुषमा टम्टा, सहायक निदेशक (मृदा विज्ञान) बाबू चंद सिंह, डॉ विजय कुमार एवं जिला समन्वयक गौतम कुमार गोईंत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. डॉ संजय कुमार राय ने कहा कि रासायनिक खेती के अत्यधिक उपयोग से भूमि की उर्वरा शक्ति में भारी गिरावट आयी है. ऐसे में प्राकृतिक खेती ही एकमात्र विकल्प है जिससे किसान उत्पादन लागत घटाकर लाभ कमा सकते हैं. जिला कृषि पदाधिकारी श्री सिंह ने बताया कि सारण जिले में 1875 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य है.
प्रशिक्षण में किसानों को जागरूक करने की अपील
उन्होंने कृषि सखियों से प्रशिक्षण का भरपूर लाभ लेने और किसानों को भी इसके लिए जागरूक करने की अपील की. उद्यान विशेषज्ञ डॉ चंदोला ने कहा कि वर्तमान समय में खाद-बीज की महंगाई और आपूर्ति की समस्याओं को देखते हुए प्राकृतिक विकल्पों की ओर जाना जरूरी है. केंचुआ और सूक्ष्म जीवों की मदद से मृदा की उर्वरा शक्ति को पुनः बहाल किया जा सकता है. डॉ सुषमा टम्टा ने प्राकृतिक खेती में प्रयुक्त उपकरणों की जानकारी दी जबकि मृदा विशेषज्ञ बाबू चंद सिंह ने बताया कि प्राकृतिक खेती से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है. डॉ जीर विनायक ने कीट और रोग नियंत्रण की प्राकृतिक विधियों जैसे नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, दशपर्णी अर्क पर प्रकाश डाला. वहीं कार्यक्रम सहायक डॉ विजय कुमार ने प्राकृतिक खेती के चार स्तंभ जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत और नीमास्त्र की तैयार विधि और उनके विभिन्न फसलों में उपयोग की विस्तृत जानकारी दी. प्रशिक्षण में मांझी, रिविलगंज, सदर, सोनपुर और दिघवारा प्रखंड की कुल 30 कृषि सखियों ने भाग लिया. कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के अमितेश कुमार गौरव, रामा रंजन, अंकित मिश्रा, अवनीश पांडेय और संतोष कुमार की उपस्थिति रही. प्रशिक्षण का उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर टिकाऊ और लाभकारी कृषि को बढ़ावा देना है.
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