छपरा. हर बार विधानसभा चुनाव से पहले शहर में जलनिकासी की समस्या व उसके समाधान का मुद्दा उठते रहा है. शहर में लचर ड्रेनेज सिस्टम सालों से लोगों की परेशानी का कारण रहा है. पिछले तीन विधानसभा चुनाव में ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाने का मुद्दा हावी रहा. लेकिन स्थानीय लोगों को आज भी कोई स्थायी समाधान नहीं मिल सका है. चुनाव में भी यह मुद्दा हावी रहेगा. कई मुहल्ले के लोग तो अभी से ही प्रत्याशियों को इस मुद्दे पर घेरने की तैयारी में जुट गये हैं.
हाल ही में शहर में हुई आठ से नौ घंटे की लगातार बारिश के बाद पूरी व्यवस्था चौपट हो गयी. व्यवसायियों को करोड़ों का नुकसान हुआ. वहीं लगभग सभी रिहायशी इलाकों में पांच से सात फीट पानी जमा होने से आवागमन पूरी तरह ठप हो गया. ऐसे में जनता के बीच नाराजगी बढ़ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले खनुआ नाला के मेंटेनेंस कार्य का शिलान्यास किया गया था. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी आज तक मेंटेनेंस का कार्य पूरा नहीं हो सका है.गत विधानसभा चुनाव में सभी दलों ने किया था वादा पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान शहर में खनुआ नाला के जीर्णोद्धार व अन्य सभी प्रमुख नालों के मेंटेनेंस को लेकर चुनाव प्रचार के दौरान लगभग सभी दलों ने बड़े-बड़े दावे किये थे. उसके पूर्व के भी विधानसभा व लोकसभा चुनाव के दौरान शहर में जल निकासी के उचित प्रबंध को लेकर आश्वासन दिया गया था. लेकिन आज भी लोग पुरानी समस्या से ही जूझ रहे हैं. हालांकि दो वर्ष पहले खनुआ नाला पर से अतिक्रमण जरूर हटाया गया है. लेकिन इसका मेंटेनेंस कार्य काफी धीमी गति से हो रहा है. जिससे बरसात वह बाढ़ के दौरान जलनिकासी की समस्या बनी रहती है.
मुगलकालीन खनुआ नाला है लाइफलाइन
शहर को बाढ़ की विभीषिका से बचाने और जलनिकासी की व्यवस्था को सुचारू बनाने के उद्देश्य से सैकड़ो वर्ष पूर्व राजा टोडमल ने खनुआ नाले का निर्माण कराया था. शहर के दक्षिणी भाग के तटवर्ती इलाके बाढ़ के दौरान जलमग्न हो जाया करते थे और जानमाल का भारी नुकसान हुआ करता था. इसके बाद आमलोगों और राजा टोडरमल के बीच हुई मंत्रणा के बाद यह ऐतिहासिक नाला अस्तित्व में आया. अपनी संरचना के हिसाब से पहले यह एक बड़ा नाहर हुआ करता था. बाढ़ के दौरान सरयू नदी का पानी इस नाहर से गुजर कर जिले के कई गावों तक जाता था. जिससे खेतों की सिंचाई में भी काफी लाभ मिलता था. स्थानीय जयंत सहाय बताते हैं कि पहले खनुआ नाले में साफ पानी बहा करता था. मुगलकाल में इसमें नाव चला करती थी. आसपास के युवक नहाते भी थे. खनुआ नाला कई भागों में बंटा था जो सरयू के पानी को गांवों में पहुंचाता था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

