सोनपुर. हरिहर क्षेत्र सोनपुर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाला मेला कभी एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता था. यह मेला एक महीने से अधिक समय तक चलता है और कभी पशु-पक्षियों के व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है. हालांकि, अब कुछ पशु-पक्षियों की बिक्री पर प्रतिबंध लगने के कारण मेला अपने पुराने स्वरूप में नहीं रहा, फिर भी इसकी धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक महत्ता आज भी बरकरार है. दूर-दराज से व्यापारी और पर्यटक यहाँ की सांस्कृतिक विरासत और लोक-कलाओं का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं. मेले में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, थिएटर, आधुनिक झूले के साथ-साथ विभिन्न विभागों के सरकारी और गैर-सरकारी स्टॉल मुख्य आकर्षण का केंद्र होते हैं. इसके अलावा स्थानीय हस्तशिल्प और रोजमर्रा के सामानों की भी खूब बिक्री होती है. धार्मिक दृष्टि से, इस स्थल का संबंध गज-ग्राह की लड़ाई और भगवान विष्णु द्वारा गजेंद्र को मोक्ष प्रदान करने से बताया जाता है. हरिहर नाथ मंदिर के सामने लोक सेवा आश्रम परिसर, सूर्य मंदिर और शनिदेव मंदिर में पूजा-पाठ करने श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां आने वाले लोग संत विष्णुदास उदासीन मौनी बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इस वर्ष विधान सभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मेला कार्तिक पूर्णिमा से शुरू किया गया है, जबकि सरकारी स्तर पर उद्घाटन समारोह नौ नवंबर को आयोजित किया जायेगा.
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