छपरा. लगातार बढ़ रहे तापमान से लोग परेशान हैं. दो-तीन दिनों में तापमान 42 डिग्री को भी पार कर सकता है. इसके पहले 2017 में रिकॉर्ड 45 डिग्री तापमान जून में दर्ज किया गया था. धूप व गर्मी के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर तो प्रतिकूल असर पड़ ही रहा है. खेती पर भी इसका असर दिख रहा है. इसके अलावा गर्मी ने कारोबार भी प्रभावित किया है. कड़ी धूप के कारण थोक मंडियों में खरीदारों की संख्या घटी है, जिस कारण व्यापारियों को भी कई स्तर पर परेशानी झेलनी पड़ रही है. गर्मी के बढ़ते प्रकोप के चलते लोग लंबी दूरी की यात्राएं भी रद्द कर रहे हैं. छपरा से विभिन्न गंतव्यों तक जाने वाली बसों पर भी इसका असर देखने को मिला है. बस स्टैंड से पटना, मुजफ्फरपुर, आरा व सीवान की ओर जाने वाली बसों में सुबह के समय ही यात्री दिख रहे हैं. दोपहर की बसों में यात्रियों की संख्या 60 फीसदी तक घट गयी है. रविवार को दोपहर एक बजे शहर के लगभग सभी बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा. फुटपाथ दुकानों पर भी ग्राहक नदारद दिखे.
उल्टी, पेट दर्द के मरीज बढ़े
गर्मी का असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी देखने को मिल रहा है. जून में सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीजों की संख्या में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. चिकित्सकों का कहना है कि ज्यादातर मरीज पेट दर्द, उल्टी, दस्त व सीजनल बीमारियों से पीड़ित होकर अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे हैं. शनिवार को सदर अस्पताल के ओपीडी में दोपहर दो बजे तक 400 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. जबकि, शुक्रवार को कुल 380 मरीजों ने इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. इन मरीजों में 50 फीसदी से अधिक मरीज धूप व गर्मी की चपेट में आकर बीमार हुए थे.कम खरीदार पहुंच रहे मंडी
गर्मी का प्रभाव थोक व खुदरा मंडियों पर भी देखने को मिल रहा है. इस समय शादियां अधिक हैं. फिर भी धूप के कारण दूर-दराज से आने वाले खरीदारों की कमी देखने को मिल रही है. शहर के साहेबगंज व सोनारपट्टी में विगत 10 दिनों में धूप के कारण 50 फीसदी कारोबार कम हुआ है. शहर के मौना चौक में थोक मंडी के विक्रेताओं ने बताया कि गत वर्ष भी जून में असहनीय गर्मी थी. इस बार भी जून में गर्मी का असर अधिक है. ग्रामीण क्षेत्रों से खरीदार कम रहे हैं. जिससे व्यापार प्रभावित हुआ है.बार-बार करनी पर रही सिंचाई
तापमान बढ़ने से खेती पर विपरीत असर पड़ने लगा है. खेतों की नमी में लगातार कमी आने से पानी बार-बार देना पड़ रहा है. सब्जियों को भी ज्यादा नुकसान हो रहा है. पालक, नेनुआ, भिंडी आदि को नुकसान हो रहा है. अधिक गर्मी बढ़ने से खेत सूखकर बंजर हो रहे हैं. ऐसे में आनेवाली खरीफ की खेती को लेकर किसान खेतों की जुताई नहीं कर पाये हैं. किसानों को मानसून का इंतजार है. यदि समय पर मानसून नहीं आया और उम्मीद के अनुसार बारिश नहीं होती है तो धान का बिचड़ा समय पर नहीं डाला जा सकेगा. वहीं मक्का की खेती भी प्रभावित होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है