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saran news. सीएचसी में महिला डाॅक्टर नहीं, पुरुष चिकित्सकों को समस्याएं बताने में झिझकती हैं महिलाएं

अस्पताल में प्रतिदिन 100 से अधिक मरीज पहुंचते हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक, नर्सों की सलाह से संतुष्ट नहीं हो पातीं महिला मरीज

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रिविलगंज . सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रिविलगंज में महिला डॉक्टर नहीं होने से महिलाओं को समस्या हो रही है. महिलाओं को पुरुष डॉक्टरों से इलाज करवाने में झिझक महसूस हाेती है. वे चाहकर भी अपनी बीमारियों को पुरुष डॉक्टरों से नहीं कह पाती हैं. अपनी गुप्त बीमारियों को महिलाएं पुरुष डॉक्टरों से नहीं बता पाती हैं. वे एएनएम (नर्स ) से समस्या साझा तो करती है, किंतु संतुष्ट नहीं हो पाती है. ऐसी स्थिति में उन्हें शहरों के महिला डॉक्टरों के संपर्क में जाना पड़ता है. महिलाओं के प्रसव, बंध्याकरण सहित अन्य कार्य इस अस्पताल में किये जाते हैं. प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को नर्सों के सहारे ही रहना पड़ता है तथा नर्सों की जानकारी पर ही इलाज किया जाता है. इसके कारण गंभीर स्थिति होने पर कर्मियों को परिजनों का कोपभाजन होना पड़ता है. इस अस्पताल में प्रतिदिन 100 से अधिक रोगियों का इलाज किया जाता है. इसमें महिलाओं की संख्या आधी से अधिक होती है. इसके बावजूद महिला चिकित्सक की नहीं होने से महिला मरीजों को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है.

समस्या से डीएम व सीएस को कराया जा चुका अवगत, समाधान नहीं

नगर पंचायत रिविलगंज मुख्य पार्षद अमिता यादव व उप मुख्य पार्षद रिविलगंज अर्चना देवी ने कहा कि पूर्व में महिला चिकित्सक की कमी को लेकर सिविल सर्जन छपरा व जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है फिर भी समाधान नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि आधी आबादी के उत्थान के लिए सरकार दावा करती है, लेकिन महिलाओं की जनसंख्या 50 हजार से अधिक रहने के बावजूद रिविलगंज सीएचसी में महिला चिकित्सक को पदस्थापित नहीं किया जाना, इस इलाके की महिलाओं के लिए छलावा है. पूर्व मुख्य पार्षद रिविलगंज इंदु देवी व पूर्व मुख्य पार्षद प्रत्याशी सोनी सिंह ने कहा कि आर्थिक रूप से संपन्न महिला मरीज जिला मुख्यालय में महिला चिकित्सक से अपना इलाज करवा लेती हैं. मगर, आर्थिक संकट से जूझ रही प्रखंड की सैकड़ों महिला मरीज अपनी बीमारियों के इलाज के लिए रिविलगंज सीएचसी तो जाती हैं, कितु संकोचवश पुरुष चिकित्सक को नहीं बता पाती हैं. परिणामस्वरूप बिना इलाज के ही वह वापस लौट जाती हैं. महिलाओं के हित में जिला प्रशासन एवं बिहार सरकार से रिविलगंज में महिला चिकित्सक की पदस्थापन करवाने की मांग की है.

महिला चिकित्सक नहीं रहने से हमें अस्पताल जाने में सोचना पड़ता है

अस्पताल में जाने पर हमेशा पुरुष चिकित्सक ही मिलते है. नर्स से सलाह लेने पर सही जानकारी नहीं मिल पाती है. जिसके कारण छपरा शहर में जाकर महिला चिकित्सक से इलाज कराना पड़ता है.

शकीला खातूनअस्पताल में महिला चिकित्सकों की काफी महीनों से कमी है, जिसके कारण हमलोगों को काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ता है. अस्पताल में जाने पर पुरुष चिकित्सक ही इलाज करते है, जिसके कारण समस्या को सही ढंग से नहीं रख पाते है.

सुनीता देवीमहिला चिकित्सक की कमी के कारण हमलोगों को अस्पताल जाने में सोचता पड़ता है. क्योंकि अस्पताल में पुरुष चिकित्सकों द्वारा इलाज किया जाता है. लेकिन हमलोगों के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. यह समस्या कई वर्षों से बनी हुई है. सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है.

मीना देवीमहिला चिकित्सक की तैनाती के अभाव में सबसे ज्यादा परेशानी इलाके की आधी आबादी को उठानी पड़ती है. महिलाओं संबंधी रोगों से लेकर प्रसव की सुविधा बेहतर नहीं होने की स्थिति में ग्रामीण इलाके की महिला रोगियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

रिंकी कुमारी, पैक्स अध्यक्ष कचनार

क्या कहते हैँ जिम्मेदार

महिला चिकित्सक पदस्थापित नहीं है. बावजूद महिला मरीज को एएनएम के माध्यम से सारी सुविधा उपलब्ध करायी जाती हैं. विशेष परिस्थिति में छपरा सदर अस्पताल भेज दिया जाता है.

डॉ राकेश कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीएचसी, रिविलगंज महिला चिकित्सक की कमी को लेकर सिविल सर्जन छपरा को अवगत कराया गया है. लेकिन कोई समाधान नहीं निकला,अब स्वास्थ्य मंत्री व विभाग के सचिव पटना को पत्र के माध्यम से और स्वयं मिलकर अवगत कराकर जल्द समाधान किया जायेगा.

डॉ राहुल राज, प्रखंड प्रमुख

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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