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आरसीडी, निगम और बुडको के बीच तालमेल की कमी से जलनिकासी बाधित

तीन दिन पहले तीन अक्टूबर की रात लगभग 10 घंटे तक हुई तूफानी बारिश ने न सिर्फ छपरा नगर निगम को बल्कि जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्यों पूरा शहर जलमग्न हो गया और जल निकासी स्वाभाविक रूप से नहीं हो पायी.

छपरा. तीन दिन पहले तीन अक्टूबर की रात लगभग 10 घंटे तक हुई तूफानी बारिश ने न सिर्फ छपरा नगर निगम को बल्कि जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्यों पूरा शहर जलमग्न हो गया और जल निकासी स्वाभाविक रूप से नहीं हो पायी. शहर में जलभराव के कारण पंपिंग सेट और बोरिंग के माध्यम से पानी निकासी करनी पड़ी. इस बारिश से व्यवसायियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि अनेक कार्यालयों की महत्वपूर्ण फाइलें पूरी तरह भीगकर बर्बाद हो गयीं. इस 40 वर्षों में शहर के लोगों ने इतनी बड़ी त्रासदी शायद ही देखी हो. इसके साथ ही 40 घंटे तक बिजली भी गायब रही और लोगों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ा.

जल निकासी मार्गों पर अतिक्रमण बना सबसे बड़ा कारण

पश्चिमी छपरा क्षेत्र के नाले का पानी बरहमपुर, नारायणपुर, छपरा जंक्शन, जगदम कॉलेज रेलवे फाटक, सांढ़ा रेलवे फाटक, खनुआ नाला, शिव नगरी और बी सेमिनरी होते हुए उत्तर दिशा के चंवर में जाता था. लेकिन इन प्राकृतिक नालों और ड्रेनेज रास्तों को भूमाफियाओं ने संकीर्ण कर दिया है या बेच दिया है. नारायणपुर, बरहमपुर, करीगा से गुजरने वाली पईन नहर भी रास्ते में अवरोध के कारण जल निकासी नहीं कर पा रही है. तेलपा से बरहमपुर तक के 13 जलनिकासी द्वार बंद हैं. भगवान बाजार थाना रोड पर जलभराव की समस्या बनी रहती है क्योंकि वहां भी ड्रेनेज को मकानों ने संकीर्ण कर दिया है. रेलवे ने भी कई स्थानों पर बाउंड्री बनाकर जल निकासी बाधित की है.

मुख्य सड़क के साइफन ब्लॉक, जलजमाव का स्थायी समाधान नहीं

मोहल्लों का जल मुख्य सड़क किनारे बने नालों से उत्तर के चंवर में जाता है, लेकिन कई रोड क्रॉस साइफन पूरी तरह से ब्लॉक हो चुके हैं. कई बार रोड निर्माण विभाग के साथ मिलकर इसे ठीक करने की योजना बनी, लेकिन नगर निगम, रोड विभाग और बुडको के बीच समन्वय न होने के कारण कार्य पूरा नहीं हो सका। इससे मोहल्लों का जलजमाव दूर नहीं हो पा रहा है.

दशक भर प्रयास के बावजूद समस्या जस की तस

पिछले 20 वर्षों में जलजमाव से निजात पाने के लिए कई परियोजनाएं बनायी गयीं, पर शहर की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हो सका. खनुआ नाला का जीर्णोद्धार चल रहा है, जिसकी वजह से कुछ इलाकों की जलनिकासी प्रभावित हुई है. इसके अलावा नालों के कनेक्शन कई जगह बंद हैं, खासकर सांढ़ा के पास. कई इलाकों से जुड़ी नालियां और नहर के रास्ते अवैध कब्जों में हैं. कचरा और प्लास्टिक जमा होने से भी जल निकासी बाधित हो रही है.

प्रमुख तथ्य

छपरा नगर निगम क्षेत्र के 80% इलाकों में जलनिकासी के रास्ते बंदलगभग 3 लाख की आबादी प्रभावित

नगर निगम के अंतर्गत 45 वार्ड15 से अधिक स्थानों पर खनुआ नाले के एप्रोच बंद

60% इलाकों में नालों पर अतिक्रमणजेसीबी से उड़ाही कार्य चल रहा है

70 से अधिक पंपिंग सेट जल निकासी के लिए लगाए गएनगर निगम 24 घंटे जल निकासी हेतु कार्यरत

नियमित रूप से करायी जा रही है नालों की उड़ाही

नगर निगम द्वारा नालों की उड़ाही नियमित रूप से करायी जा रही है. क्विक रिस्पांस टीम भी बनायी गयी है. जहां जलजमाव अधिक है, वहां निकासी के लिए मार्ग बनाये जा रहे हैं. मास्टर प्लान भी तैयार किया जा रहा है.लक्ष्मी नारायण गुप्ता, मेयर, छपरा नगर निगम

खनुआ नाला का निर्माण अभी पूर्ण नहीं हुआ

अतिवृष्टि ने हमें कई नयी चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर किया है. अब आने वाला ड्रेनेज सिस्टम इस आपदा को ध्यान में रखकर तैयार होगा. खनुआ नाला का निर्माण कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है, इसलिए सभी नाले अभी तक कनेक्ट नहीं हो पाए हैं.सुनील कुमार पांडे, नगर आयुक्त

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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