सोनपुर. विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला धार्मिक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ साथ मनोरंजन, खरीदारी और सांस्कृतिक समागम का एक महत्वपूर्ण केंद्र हैं. इस बार मेले में आने वाले लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है. गत वर्ष की तुलना में अधिक संख्या में लोग प्रतिदिन पहुंच रहे हैं. अनुमान के मुताबिक हर दिन करीब 70 से 80 हजार लोग मेला देखने आ रहे हैं, जबकि गत वर्ष प्रतिदिन 50 से 60 हजार लोग मेला देखने आये थे. हालांकि भीड़ के साथ कई बार अफरातफरी की स्थिति भी मच रही है. सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम जरूर हैं, लेकिन फिर भी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिसकर्मियों को मशक्कत करनी पड़ रही है. कई बार सोनपुर मेला की सड़कें एक ऐसी तस्वीर पेश कर रही हैं जो आनंद से अधिक अराजकता और अव्यवस्था को दर्शा रही है. इसका मुख्य कारण मेला क्षेत्र की सड़कों पर अव्यवस्थित रूप से कब्जा जमाये बैठे ठेले और खोमचे वाले हैं, जो एक उत्सवपूर्ण माहौल को घोर परेशानी में बदल दिया हैं. इस ठेले खुमचे वालो के कारण सबसे बड़ी चुनौती यातायात और पैदल आवागमन को लेकर है. मुख्य सड़कों और इसके किनारों पर लगे ये ठेले, जिनमें चाट-पकोड़ी, खिलौने, कपड़े और अन्य सामान बेचे जा रहे हैं, सड़क की चौड़ाई को काफी हद तक कम कर दिया हैं. जिसका परिणाम होता है भीषण जाम. पैदल चलने वालों को भी इन ठेलों के कारण सड़क पर दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है और यातायात और धीमा हो जाता है. जेब कतरो की लॉटरी लग जाती है.अराजकता सिर्फ आवागमन तक सीमित नहीं रहती, यह स्वच्छता के स्तर को भी बुरी तरह प्रभावित कर रखा है. ठेले-खोमचे वाले अक्सर कचरा और जूठन सड़क पर ही फेंक देते हैं. इस्तेमाल किये गये प्लेट, दोने, प्लास्टिक के गिलास और खाने के बचे हुए अंश सड़कों पर बिखरे रहते हैं, जिससे चारों ओर गंदगी का अंबार लग जा रहा है. यही नही विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले तेज लाउडस्पीकर और चिल्लाहट एक असहनीय शोरगुल का माहौल पैदा कर रखा हैं. यह शोर मेले के सुखद अनुभव को छीन लेता है. इसके अलावा, इन अत्यधिक भीड़भाड़ वाले और अव्यवस्थित क्षेत्रों में जेबकतरी जैसी घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है. सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाये रखने वाले कर्मियों के लिए भी इस अराजक भीड़ को नियंत्रित करना एक दुष्कर कार्य है. ठेले-खोमचे वालों की आजीविका अपनी जगह महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे सार्वजनिक व्यवस्था की कीमत पर नहीं होना चाहिए. इस अराजकता को दूर करने के लिए मेला प्रशासन को ठोस नीति बनाने की आवश्यकता है. इसके तहत, वेंडरों के लिए नामांकित क्षेत्र (वेंडिंग जोन) निर्धारित किये जाने चाहिए जो मुख्य सड़क और मेला के नखास क्षेत्र से अलग हों. साथ ही, उन्हें स्वच्छता और व्यवस्था बनाये रखने के लिए सख्त दिशानिर्देश दिये जाने चाहिए. यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि मेला, जो खुशियों का प्रतीक है, ठेले-खोमचों की अव्यवस्था के कारण परेशानी और अराजकता का केंद्र न बन जाये.
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