छपरा. इबादतों, रहमतों व बरकतों का पवित्र महीना रमजान-उल-मुबारक का चांद शनिवार को देखा गया. शिया और सुन्नी चांद कमेटियों ने चांद दिखने की घोषणा कर दी हैं. इसकी तस्दीक होते ही लोग रविवार से रमजान के रोजे रखने की तैयारी में मशगूल हो गये. सेहरी के इन्तेजाम में लोगों की भीड़ से बाजार गुलजार हो गए. शीरमाल, नान, बाकरखानी और दूध व मिठाइयों की दुकानों पर भीड़ देखी गयी. वहीं यह नियम है कि चांद देखे जाते ही रमजान की विशेष नमाज तरावीह की शुरुआत हो जाती है. लोग इसके लिए मस्जिद और चिन्हित जगहों पर पहुंचने की जल्दी में दिखे.
सज गयी खजूर की दुकानें, दाम 120 से दो हजार तक
रमजान में खजूर की बड़ी अहमियत होती है. हर रोजेदार चाहता है कि वह बेहतर खजूर से इफ्तार करे और दूसरों को भी कराए. ऐसे खजूर की मांग है जो स्वादिष्ट व पौष्टिक हो. रोजेदारों की पसंद को देखते हुए बाजार में बड़े चमचमाते काले कलमी खजूर आ गए हैं. इसके कई प्रकार हैं. जो 120 से लेकर 2000 रुपए प्रति किलो बिक रहे हैं. ईरानी 130, कीमिया 270, रब्बी 300, फर्द 400, अम्बर 500, कूबा 1100, अजवा 2000 से 3000 रुपये और चटाई खजूर 100 रुपये किलो है.लच्छे 160 से 200 रुपये किलो तक बिकेंगे
रमजान को देखते हुए लच्छे भी तैयार किये जा रहे हैं. ज्यादातर रोजेदार सहरी में दूध-लच्छे खाते हैं. शहर के करीमचक, खनुआ, नई बाजार, दहियावां, गुदरी समेत ग्रामीण इलाके के बाजारों में लच्छे की दुकानें सज ग हैं. यह दुकानदार 160 से 200 रुपये किलो लच्छे बेच रहे हैं. रमजान में लच्छे खाने की खास रवायत है. खासतौर से सहरी में लोग इसे खाना पसंद करते हैं.इबादत के लिए मस्जिदों में खास व्यवस्था
मस्जिदों की मरम्मत के साथ रंगाई-पुताई पहले से ही कर ली गयी है. तराहवी और नमाज-ए-जमात के लिए शहर व आसपास के विभिन्न मौलवियों को आमंत्रित किया गया है. शहर की तमाम मस्जिदों में रोजेदारों की सुविधा के लिए जरूरत की चीजें भी खरीदी गयी हैं. पुरुषों व बच्चों की इबादत से मस्जिदों में रौनक रहती है वहीं महिलाएं इबादत से घरों को रौशन करती हैं. प्रतिदिन तरह-तरह के पकवान मस्जिदों में भेजे जाते है जिससे लोग रोजा खोलते हैं. रमजान में शहर में काफी चहल-पहल रहती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है