छपरा. मौना साढ़ा रोड पर स्थित करीब 200 मीटर लंबी दूरी में पांच से अधिक बिजली के पोल जर्जर हो चुके हैं. इनमें से कई पोल 30 से 45 डिग्री तक झुके हुए हैं. यह स्थिति खनुआ नाला निर्माण कार्य के कारण उत्पन्न हुई है, जब निर्माण के दौरान जमीन से पोलों का संपर्क कमजोर हो गया. कुछ पोलों को जेसीबी मशीन की ठोकर से भी नुकसान हुआ है. लेकिन इन क्षतिग्रस्त पोलों के सहारे आसपास के घरों और दुकानों तक बिजली की सप्लाई हो रही है. यह स्थिति किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है, खासकर शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में. जर्जर पोलों के गिरने से किसी भी समय जान-माल का नुकसान हो सकता है. बारिश और तेज आंधी के दौरान बिजली के पोल गिरने की घटनाएं अक्सर हो रही हैं, जिससे शहर में भारी नुकसान हो चुका है. बावजूद इसके, बिजली विभाग इस गंभीर समस्या पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है.
पुराने पोल और खराब तार
शहर के विभिन्न इलाकों में 20 से 25 साल पुराने लोहे के पोल अब भी खड़े हैं. सोनारपट्टी, सलेमपुर, साहेबगंज, सरकारी बाजार, मौना और साढ़ा जैसे क्षेत्रों में इन पोलों का उपयोग किया जा रहा है. इन पोलों में जलजमाव के कारण जंग लगने से उनकी मजबूती घट गयी है. इसके साथ ही, कई स्थानों पर तार आपस में उलझे हुए हैं, जो खतरनाक साबित हो सकते हैं. इन पुराने पोलों पर बिजली की तारों का सही तरीके से संचालन नहीं हो रहा जिससे बिजली सप्लाइ में खतरनाक स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
स्थानीय लोगों की चिंता
मौना-सांढा रोड पर स्थित रिहायशी इलाकों में लोगों की चिंता बढ़ गयी है. इस सड़क पर दिनभर गतिविधियां रहती हैं, यहां तक कि फुटपाथी दुकानदारों, स्ट्रीट फूड वेंडरों, किराना और सब्जी बाजारों की आवाजाही भी होती है. इन जर्जर पोलों के कारण यहां किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है. स्थानीय निवासियों ने कई बार विभाग से आवेदन करके पोलों की स्थिति सुधारने की मांग की है. नार्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन के अधीक्षण अभियंता रितेश कुमार ने बताया कि जहां खनुआ नाला या डबल डेकर निर्माण कार्य चल रहा है, वहां से पुराने और जर्जर पोल हटाये जा रहे हैं. विभाग इस समस्या को हल करने के लिए निर्माण एजेंसी के साथ समन्वय में काम कर रहा है. स्थानीय लोग चाहते हैं कि इस कार्य को प्राथमिकता दी जाये, ताकि कोई अप्रत्याशित दुर्घटना न हो और इलाके में बिजली सप्लाइ की स्थिति बेहतर हो सके.
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