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ईश्वर की स्तुति के लिए जरूर निकालें वक्त: वशष्ठि

ईश्वर की स्तुति के लिए जरूर निकालें वक्त: वशिष्ठ गीता जयंती साप्ताहिक समारोह का तीसरा दिनईश्वर की भक्ति करनेवाले इनसान के लिए हर जगह मंदिर समान: वैदेही शरणनोट: फोटो मेल से भेजा गया है. संवाददाता, दिघवाराईश्वर भक्ति के बिना मानव जीवन अधूरा है. लिहाजा हर इनसान को अपनी भाग-दौड़ भरी जिंदगी में भी ईश्वर की […]

ईश्वर की स्तुति के लिए जरूर निकालें वक्त: वशिष्ठ गीता जयंती साप्ताहिक समारोह का तीसरा दिनईश्वर की भक्ति करनेवाले इनसान के लिए हर जगह मंदिर समान: वैदेही शरणनोट: फोटो मेल से भेजा गया है. संवाददाता, दिघवाराईश्वर भक्ति के बिना मानव जीवन अधूरा है. लिहाजा हर इनसान को अपनी भाग-दौड़ भरी जिंदगी में भी ईश्वर की स्तुति के लिए वक्त निकालना चाहिए. ऐसा करने पर ही जीवन की सार्थकता सफल होगी. उपरोक्त बातें नगर के माल गोदाम के सामने गीता जयंती समारोह समिति द्वारा आयोजित गीता जयंती साप्ताहिक समारोह के तीसरे दिन प्रवचन की अमृतवर्षा करते हुए कोलकाता के भागवत कथा मर्मज्ञ पंडित वशिष्ठ नारयाण शास्त्री ने कहीं. उन्होंने कहा कि जीवन में महात्मा के बिना जीवात्मा का परमात्मा से मिलन संभव नहीं है, क्योंकि महात्मा ही इनसान को ज्ञान से रू -ब-रू करा कर मोह के भंवरजाल से निकालता है. शास्त्री जी ने अपने प्रवचन के दरम्यान भक्तिमय भजनों से श्रोताओं को खूब झूमाया. वहीं, जनकपुर धाम से पधारी मानस मंदाकिनी वैदेही शरण ने प्रवचन के तीसरे दिन भगवान श्रीराम के बाल्यावस्था का वर्णन करते हुए मां व पुत्र के रिश्तों की विस्तारपूर्वक व्याख्या की. उन्हाेंने कहा कि ईश्वर पूजन की भक्ति जिस इनसान में पनप जाता है, उसे हर नारी में भगवती का स्वरूप झलकता है एवं हर स्थल मंदिर-सा दिखता है. मनुष्य के धार्मिक स्वभाव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वभाव का व्यक्ति दूसरे की संपत्ति को विष के समान समझता है. वहीं, आमी के शिवबच्चन सिंह शिवम ने भी अपने प्रवचन में ईश्वर के स्वरूप व कण-कण में ईश्वर की उपस्थिति का वर्णन कर हर इनसान से भगवान के शरणागत होने की अपील की.

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