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कमजोरों की जुबान बनते हैं अधिवक्ता

कमजाेरों की जुबान बनते हैं अधिवक्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने किया देशरत्न की प्रतिमा का अनावरण मनायी गयी राजेंद्र प्रसाद की जयंतीनोट: फोटो नंबर 3 सी.एच.पी 3, 5 है कैप्सन होगा- समारोह में उपस्थित मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायमूर्ति व विधिमंडल के अधिवक्ता संवाददाता, छपरा (कोर्ट) देश के प्रथम राष्ट्रपति व संविधान सभा के […]

कमजाेरों की जुबान बनते हैं अधिवक्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने किया देशरत्न की प्रतिमा का अनावरण मनायी गयी राजेंद्र प्रसाद की जयंतीनोट: फोटो नंबर 3 सी.एच.पी 3, 5 है कैप्सन होगा- समारोह में उपस्थित मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायमूर्ति व विधिमंडल के अधिवक्ता संवाददाता, छपरा (कोर्ट) देश के प्रथम राष्ट्रपति व संविधान सभा के अध्यक्ष देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद, छपरा के रहनेवाले थे. इससे बढ़ कर छपरा का भाग्य और क्या हो सकता है. ऐसी विभूतियों का इस भूमि पर जन्म लेना अपने आपमें गर्व की बात है. वैसे भी इस भूमि का स्वर्णिम इतिहास व गौरवशाली अतीत रहा है. उक्त बातें उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश एकबाल अहमद अंसारी ने न्यायालय परिसर में स्थापित देशरत्न की प्रतिमा अनावरण के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि देशरत्न ने देश के लिए अपने भविष्य को दावं पर लगा दिया. वे तब जानते भी नहीं थे कि वे क्या बनेंगे, उन्हें तो यह भी पता नहीं था कि देश आजाद भी होगा या नहीं. न्यायाधीश श्री अंसारी ने कहा कि छपरा के लोगों को अपने इतिहास व अतीत को और ऊंचाई पर ले जाने की आवश्यकता है. उन्होंने युवा अधिवक्ताओं का मार्ग प्रदर्शन करते हुए कहा कि वे बार की भीड़ से घबराये नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभा को विकसित करें. ऊपर कोई भीड़ नहीं है. उन्होने कहा कि अधिवक्ताओं का कार्य बहुत ही कठिन है. वे उनलोगों को जुबान बनते हैं, जो ठीक से अपनी बात नहीं कह सकते. ऐसी बात नहीं कि जज ही सब कुछ जानते व समझते हैं. उन्हें अधिवक्ता ही मामले की बारीकियों से अवगत कराते हैं, जिसके आधार पर वे निर्णय लेते हैं. उन्होंने संसद से बार की तुलना करते हुए कहा कि आज संसद में प्राय: हंगामे की घटनाएं होती हैं, जबकि बार में दोनों पक्ष अपनी बातें रखते हैं परंतु कभी उनमें टकराव नहीं होता जो अधिवक्ताओं और बार की गरिमा को दरसाता है. महान विभूति थे राजेंद्र बाबूइसके पूर्व कार्यक्रम में न्यायमूर्ति रमेश कुमार दत्त ने देशरत्न को महान विभूति बताते हुए कहा कि उनके समान दूसरा होना दुलर्भ है. वहीं न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि राजेंद्र प्रसाद की सादगी व कर्तव्य पारायणता से सबों को सीख लेनी चाहिए. वहीं, न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा ने देशरत्न को महा अधिवक्ता और आजादी का प्रणेता बताते हुए कहा कि जिस भूमि पर उन्होंने जन्म लिया है, उस भूमि को प्रणाम करती हूं. मेरा सौभाग्य है कि मैं इस अवसर पर मौजूद हूं. संबोधन के पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री अंसारी ने देश रत्न की प्रतिमा का अनावरण किया तथा उसके उपरांत दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. उनके साथ आये न्यायमूर्तियों ने भी दीप प्रज्वलन में उनका साथ दिया. इसके पूर्व न्यायाधीश ने सेवा सदन का भी उद्घाटन किया. इसके उपरांत कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश को विधि मंडल के अध्यक्ष श्री राम सिंह तथा महामंत्री रविरंजन प्रसाद सिंह ने ल तथा बुके देकर सम्मानित किया. अध्यक्षता श्रीराम सिंह ने की. संचालन महामंत्री रविरंजन प्रसाद सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष ने किया.

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