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आंगनबाड़ी केंद्रों पर नहीं मिल रही हैं कई सुविधाएं

आरा : आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जानेवाली कई तरह की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. वहीं दवा के अभाव में महिलाएं और बच्चे परेशान हो रहे हैं. सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना गरीब बच्चों व महिलाओं की सुविधा को लेकर किया था. पर आज हालात यह है कि आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों और महिलाओं के […]

आरा : आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जानेवाली कई तरह की सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. वहीं दवा के अभाव में महिलाएं और बच्चे परेशान हो रहे हैं. सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना गरीब बच्चों व महिलाओं की सुविधा को लेकर किया था. पर आज हालात यह है कि आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों और महिलाओं के लिए असुविधा के केंद्र बनकर रह गये हैं.

वर्षों से लोग आंगनबाड़ी केंद्रों की सुविधा पर निर्भर हो चुके थे. खासकर दवा नहीं मिलने से काफी परेशानी हो रही है. विगत कई वर्षों से केंद्रों पर दवा नहीं आ रही है. दवा भेजने का काम स्वास्थ्य विभाग व आइसीडीएस का है. वहीं केंद्रों पर पोषाहार भी नहीं भेजा जा रहा है. इस कारण बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं.
आंगनबाड़ी केंद्रों पर इन दवाओं को उपलब्ध कराने का है प्रावधान : बच्चों व गर्भवती महिलाओं की सुविधा के लिए बुखार, खांसी, घाव, कीड़ा, आयरन की गोलियां रहने का प्रावधान है ताकि बच्चों का प्राथमिक उपचार किया जा सके. वहीं उन्हें किसी तरह की परेशानी व खतरा नहीं हो सके परंतु दवाएं उपलब्ध नहीं रहने से बच्चों के जीवन पर खतरा बना रहता है.
गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली नहीं मिलने से बच्चा जन्म लेने के पहले ही प्रभावित हो सकता है. बच्चों को चोट लगने या बुखार लगने की स्थिति में पढ़ाई के बीच में ही उन्हें घर भेजना पड़ता है. इससे आंगनबाड़ी केंद्रों के उद्देश्य पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो रहा है.
एक केंद्र पर करना है 40 बच्चों का नामांकन : आंगनवाडी केंद्रों पर गरीब बच्चों की सुविधा के लिए पढ़ाई के साथ उनके स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने का प्रावधान है .एक केंद्र पर 40 बच्चों का नामांकन करना होता है.
कुल 3034 आंगनवाड़ी केंद्रों पर जाते हैं 1 लाख 75 हजार बच्चे : जिले में कुल 3034 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, जो प्रखंडों के सभी गांव में चलाए जाते हैं .वही नगरीय क्षेत्र में भी आंगनवाड़ी केंद्र हैं .
इन आंगनवाड़ी केंद्रों पर जिले के 1 लाख 75 हजार छात्र छात्राएं पढ़ते हैं और अपना भविष्य संवारने का प्रयास करते हैं. पर सुविधाओं के नहीं होने के कारण बच्चों का भविष्य अंधकार में हो रहा है. असुविधाओं के कारण 1 लाख 75 हजार बच्चे प्रभावित हो रहे हैं.
एक -दूसरे पर डाल रहे हैं जिम्मेदारी
दवा नहीं मिलने से बच्चे व गर्भवती महिलाएं भले प्रभावित हो रहे हैं पर जिम्मेदार विभाग उदासीन व निष्क्रिय बना हुआ है. अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है. इसे लेकर सिविल सर्जन डॉ जगदीश सिंह ने कहा कि दवाएं जितनी उपलब्ध रहती हैं, भेजा जाता है. वितरण का कार्य आंगनवाड़ी केंद्रों पर होता है. आइसीडीएस के डीपीएम ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग दवाएं नहीं देता है. इस कारण बच्चों को दवा उपलब्ध नहीं करायी जाती है.

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