डोरीगंज (छपरा) : सदर प्रखंड की विष्णुपुरा पंचायत स्थित मुफस्सिल थाना क्षेत्र के शिवरहिया गांव में पिछले सप्ताह भर से जारी एक सनकी सांड़ के खूनी आतंक ने ग्रामीणों के दिन का सुकून व रात की नींद हराम कर दी है. आलम ऐसा कि सनकी सांड़ पर ग्रामीणों की भीड़ व लाठी-डंडे का कोई खौफ नहीं उसे नहीं है.
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सनकी सांड़ के आतंक से ग्रामीणों में त्राहिमाम
डोरीगंज (छपरा) : सदर प्रखंड की विष्णुपुरा पंचायत स्थित मुफस्सिल थाना क्षेत्र के शिवरहिया गांव में पिछले सप्ताह भर से जारी एक सनकी सांड़ के खूनी आतंक ने ग्रामीणों के दिन का सुकून व रात की नींद हराम कर दी है. आलम ऐसा कि सनकी सांड़ पर ग्रामीणों की भीड़ व लाठी-डंडे का कोई खौफ […]
भीड़ का सामना होने पर भी वह लोगों को खुली चुनौती देता है. ग्रामीण बताते हैं कि सांड़ में डर पैदा करने के लिए आग जलाकर व छत के ऊपर से प्लास्टिक पिघलाकर भी उसके शरीर पर गिराया गया. इसका भी उसपर कोई असर नहीं हुआ.
दिलचस्प बात तो यह कि अब तक वह जितने भी लोगो को अपना शिकार बना चुका है, वह उस व्यक्ति की सैकड़ों की भीड़ में भी आवाज पहचान कर दोबारा हमला कर देता है जो लोगो की समझ से बाहर की बात है. सांड़ के हमले से सेना से रिटायर्ड 85 वर्षीय अवध बिहारी सिंह छपरा सदर अस्पताल में भर्ती है.
वहां उनकी हालत नाजुक बतायी जा रही है. स्थानीय लोगों के मुताबिक सनकी सांड़ ने उन्हें तब अपना शिकार बनाया था जब वे शाम को अपना मवेशी बांध रहे थे. पीछे से आकर सांड़ ने हमला कर दिया. हमले से छाती, पीठ, कमर व सिर पर उन्हें गंभीर चोटें आयीं.
वहीं गांव के मनोज सिंह सुबह दरवाजे की सफाई कर रहे थे तभी पीछे से अचानक सांड़ अचानक उनपर टूट पड़ा. इस घटना में उनका एक पैर फ्रैक्चर हो गया. चार दिनों से बेड पर है. वहीं गांव के राम गणेश सिंह पर उसका रुख कुछ इस कदर आक्रामक रहा कि उसके हमले से जख्मी उनके मुंह व कान से भी खून बह निकले.
तब से गांव के लोगों ने उस सनकी सांड़ को खूनी सांड़ का भी नाम दे दिया है. जिसके हमले के शिकार अन्य लोगो में गांव के विजय सिंह, रामबालक सिंह, राजेश मांझी, जगन्नाथ सिंह, उपेंद्र सिंह तथा दो युवक दीपक कुमार व अरविंद गुप्ता शामिल है. जिनका गांव में निजी डॉक्टर के द्वारा प्राथमिक उपचार कराया जा रहा है.
इनमें से कइयों को अंदरूनी चोटें भी बतायी जा रही है. दिन में लाठी-डंडे से लैस सांड़ की तलाश में निकले गांव के मिथिलेश सिंह व मृत्युंजय सिंह ने बताया कि पिछले सप्ताह भर से हमलोगों की रात की नींद हराम हो चुकी है. शाम होते ही गांव में सनकी सांड़ का आतंक खौफ पैदा करने लगता है.
लोग शाम होने से पहले ही अपना मवेशी को खिलाकर घर के अंदर बांध देते है. अंधेरा होते ही गांव की चौक-चौराहे भी वीरान हो जा रहे हैं. मेन गेट लगाकर लोगों को दिन भर अपने घरों में ही दुबके रहना पड़ रहा है. इसकी सूचना वन विभाग के डीएफओ को भी दो दिन पूर्व इमेल की जा चुकी है.
बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इस संबंध में पूछे जाने पर डीएफओ लक्ष्येंद्र पंडित ने बताया कि मुझे इसकी सूचना है. किंतु यह कार्य एनिमल हसबैंड्री के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आता है. हमारा कार्य वाइल्ड एनिमल लाइफ तक ही सीमित है. हम इस मामले में कुछ नहीं कर सकते.
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