Advertisement
बदलाव की हो घर से शुरुआत, तभी सशक्त होंगी नारियां
छपरा : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में प्रभात खबर द्वारा नगर निगम में आयोजित परिचर्चा में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से शामिल महिलाओं ने अपने विचार रखे. समाज में आधी आबादी की भूमिका, राष्ट्र निर्माण के प्रति महिलाओं की प्रभावी सोच, सामाजिक भागीदारी, महिला आरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य, कन्या भ्रूणहत्या, सेल्फ डिफेंस, महिलाओं की स्वतंत्रता […]
छपरा : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में प्रभात खबर द्वारा नगर निगम में आयोजित परिचर्चा में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से शामिल महिलाओं ने अपने विचार रखे.
समाज में आधी आबादी की भूमिका, राष्ट्र निर्माण के प्रति महिलाओं की प्रभावी सोच, सामाजिक भागीदारी, महिला आरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य, कन्या भ्रूणहत्या, सेल्फ डिफेंस, महिलाओं की स्वतंत्रता और आर्थिक आजादी तथा स्किल डेवलपमेंट आदि अहम मुद्दों पर अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया से परिचर्चा में शामिल महिलाओं ने अपने सामाजिक दायित्वों की प्रतिबद्धता जाहिर की. इस परिचर्चा में चिकित्सक, जनप्रतिनिधि, गृहिणी, सरकारी कर्मचारी, समाजसेविका आदि मौजूद रहीं.
बदलाव के लिए घर से शुरुआत करना जरूरी : परिचर्चा में शामिल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा सिंह ने कहा कि जब तक घर से शुरुआत नहीं होगी नारी सशक्तीकरण का संकल्प अधूरा रह जायेगा.
उन्होंने कहा कि महिलाओं के शोषण के लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार हैं. सबकुछ महिलाएं ही करती हैं. उसके बाद भी घर में अपने अधिकारों के लिए हमें संघर्ष करना पड़ता है. पूरी दुनिया में आज महिला सम्मान और उसके उत्थान की बात हो रही है. जब हम अपने घर से इसकी शुरुआत करेंगे तभी बदलाव दिखेगा.
परिचर्चा में शामिल डॉ अंजलि सिंह ने कहा कि आज भी दहेज एक समस्या बन कर नारियों के स्वाभिमान को झकझोड़ती है. यह परंपरा पूरी तरह बंद होनी चाहिए जिससे आने वाली पीढियां इस अभिशाप से दूर हो सकें. उन्होंने कहा कि लड़कियों की शिक्षा एकदम जरूरी है. सिर्फ साक्षर बनाने के लिए ही नहीं बल्कि लड़कियों को सशक्त बनाने के लिए उनकी शिक्षा होनी चाहिए.
शादी के बाद भी महिला के स्किल का हो इस्तेमाल : गृहिणी राखी गुप्ता ने कहा कि आज अधिकतर महिलाएं शादी के बाद सिर्फ घर गृहस्थी संभालने में लग जाती हैं. अगर उनके अंदर छिपी प्रतिभा का इस्तेमाल हो और उन्हें अवसर मिले तो समाज के विकास में महिलाओं की भागीदारी बढ़ सकती है. अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके पति एक स्वर्ण व्यवसायी हैं. जब वह शादी कर छपरा आयी थीं तो अधिकतर समय घर में ही बीतता था.
बाद में जब पति को उनकी प्रतिभा और व्यावसायिक समझ की जानकारी हुई तो उन्हें अपनी प्रतिष्ठान चलाने का अवसर मिला. आज वह पति के व्यवसाय में सहयोग करती हैं. नगर निगम की कर्मचारी अर्चना ने कहा सरकार की कई योजनाएं हैं जिनका लाभ आज महिलाओं को मिल रहा है. महिलाओं को सिर्फ एक कदम आगे बढ़ाने की जरूरत है.
आरक्षण का सही मायने में लाभ उठाना जरूरी
परिचर्चा में शामिल रौशनी ने कहा कि आज पंचायती व्यवस्था में आधी आबादी को 50 प्रतिशत अधिकार मिला है. इस अधिकार से महिलाओं को अपनी जनभागीदारी सुनिश्चित करने का अवसर मिला है. हालांकि अधिकतर जगहों पर जनता के समर्थन से जीत कर आने वाली महिलाओं की भूमिका गौण होती जा रही है.
महिलाएं स्वयं आगे आकर चुनाव लड़ें और अपने निर्णय स्वयं लें. जिस प्रकार पंचायत में हमारा प्रतिनिधित्व बढ़ा है उस प्रकार अन्य जगहों पर भी हमें बराबरी का अधिकार मिले. ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों के लिए कार्य कर रही स्वाति ने भी आधी आबादी को सरकार से पूर्ण सहयोग दिये जाने की बात कही.
व्यवस्था के सुधार में महिलाओं को आगे आना होगा
इस परिचर्चा में महिला जनप्रतिनिधियों ने भी अपने विचार साझा किये. छपरा नगर निगम की मेयर प्रिया देवी ने कहा कि व्यवस्था को सुधारने के लिए महिलाओं को आगे आना होगा. महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करा रही हैं. वहीं डिप्टी मेयर अमितांजलि सोनी ने कहा कि अपने अधिकार के लिए महिलाएं जागरूक हों.
आज पंचायत से लेकर शहर में सामाजिक परिवर्तन की लहर है. यही मौका है जब हर क्षेत्र में महिलाओं को आगे आने का मौका मिले. छपरा नगर निगम की वार्ड सदस्य नरगिस बानो ने कहा कि अब महिलाएं खुलकर बातें करने लगी हैं. जब मैं वार्ड पार्षद बनी तो मेरे क्षेत्र की महिलाएं आकर सीधा संवाद करती हैं.
लड़का-लड़की में फर्क बंद करने से आयेगा बदलाव
परिचर्चा में शामिल शहर की जानी-मानी चिकित्सक डॉ प्रियंका शाही ने कहा कि जो बीज हम बच्चों के मन में बचपन से डाल रहे हैं उसे बंद करना होगा. आखिर लड़का और लड़की में फर्क किस बात का. समाज को यह समझना होगा कि आज महिलाओं में अपने निर्णय लेने की क्षमता है. उन्हें हर बार अपने अधिकारों के लिए पुरुष वर्ग पर निर्भर क्यों रहना पड़े.
वहीं महिलाओं के स्वास्थ्य व अन्य समस्याओं के प्रति उन्होंने अपने विचार रखे. समाजसेविका रचना पर्वत ने कहा कि लड़कियों को आज कई सुविधाएं मिल रही हैं जिससे उनका आत्मबल बढ़ा है. जब हम अपने अधिकारों को समझेंगे तब एक सकारात्मक परिवर्तन जरूर होगा. आज लड़कियां पढ़ाई के प्रति पहले से ज्यादा जागरूक हैं जिसका असर दिख रहा है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement