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Friday, March 29, 2024

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सारण : शराबबंदी ने बदला जीने का नजरिया, अब दिखा रहे राह, 35 वर्षों से शराब की लत से थे परेशान

हेमंत कुमार शराबबंदी के बाद -5 : सारण जिले के मुहम्मदपुर गांव निवासी रामकुमार उपाध्याय 35 वर्षों से शराब की लत से थे परेशान मांझी (सारण) : सारण जिले के मांझी प्रखंड में रहने वाले रामकुमार उपाध्याय ने शराबबंदी की सार्थकता को न सिर्फ आत्मसात किया है, बल्कि सामाजिक बदलाव के इस अभियान में एक […]

हेमंत कुमार
शराबबंदी के बाद -5 : सारण जिले के मुहम्मदपुर गांव निवासी रामकुमार उपाध्याय 35 वर्षों से शराब की लत से थे परेशान
मांझी (सारण) : सारण जिले के मांझी प्रखंड में रहने वाले रामकुमार उपाध्याय ने शराबबंदी की सार्थकता को न सिर्फ आत्मसात किया है, बल्कि सामाजिक बदलाव के इस अभियान में एक कदम आगे बढ़ कर मिसाल कायम की है.
प्रखंड के मुहम्मदपुर गांव निवासी रामकुमार 35 वर्षों से शराब की लत से परेशान थे. पत्नी, बेटे और परिजनों के लाख प्रयास के बावजूद उनकी आदत में कोई बदलाव नहीं हुआ और देखते ही देखते सभी सगे संबंधी उनसे दूरी बनाने लगे. जमा जमाया लकड़ी का व्यवसाय भी समाप्ति के कगार पर आ खड़ा हुआ. इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून को मूर्त रूप दिया, जिसकी भनक रामकुमार की पत्नी व बेटे को हुई.
बदलाव की इस बयार में रामकुमार की मानसिकता पर गहरा प्रभाव पड़ा और शराबबंदी से प्रेरित होकर एक निर्णय में ही उन्होंने शराब को हमेशा के लिए ना कह दिया. आज गांव के वैसे लोग जो कल तक शराब की लत से अपना और अपने परिवार का नुकसान कर रहे थे, रामकुमार उपाध्याय को एक उद्दाहरण मान कर जीवन में आगे बढ़ने को तैयार हैं.
पत्नी से होती थी बकझक : शराब पीने के वजह से पत्नी, बेटे तथा परिवार के लोगों से बकझक होती थी. देर रात को शराब पीकर घर आने के कारण पत्नी से हमेशा कभी खाने के लिए तो कभी कोई बात को लेकर बकझक होती रहती थी. शराब में खर्च के कारण घर की आर्थिक स्थिति भी खराब हो चुकी थी. कभी कभी घर में खाना भी नहीं बनता था. बच्चे भी कुपोषित होने लगे थे.
शराब पीने से हुई थी चचेरे भाई की मौत
रामकुमार उपाध्याय के परिजन उनकी इस लत से परेशान थे. वह मान चुके थे कि 35 वर्षों से जो व्यक्ति शराब का आदि हो चुका है, उसे इससे छुटकारा दिलाना संभव नहीं है. शराबबंदी के पहले जब इनके चचेरे भाई की मौत शराब पीने से हुई थी तब अंतिम संस्कार के बाद रामकुमार ने कसम खायी थी कि कभी शराब नहीं पीना है़, लेकिन कुछ दिन बाद ही फिर से शराब की लत ने उन्हें घेर लिया.
शराबबंदी लागू होने के बाद गांव में जागरूकता के कई कार्यक्रम चलाये गये थे. इसी बीच पत्नी और बेटे ने दबाव बढ़ाना शुरू किया. रामकुमार की अंतरात्मा ने उन्हें मजबूत निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया और आज पूर्ण रूप से इस लत से छुटकारा पा चुके हैं. कल तक उनकी इस लत से रूठे हुए परिजन आज उन्हें सम्मान की नजर से देखते हैं.
घर वालों की लौटीं खुशियां, व्यवसाय में भी हो रही तरक्की
रामकुमार अब पूरे गांव के लिए प्रेरणादायक हैं. घर वालों की खुशियां वापस लौट गयी हैं. लकड़ी का व्यवसाय फिर से रफ्तार पकड़ने लगा है. रामकुमार अब बेटे की पढ़ाई के लिए गंभीर हैं. पत्नी आनंदी देवी तथा दो बेटों की खुशियां सातवें आसमान पर हैं. शराब छोड़ने के बाद रामकुमार को परिवार का वास्तविक अर्थ समझ में आने लगा है.
क्या कहती हैं मुखिया
गांव की मुखिया सिया देवी कहती हैं कि रामकुमार ने गांव के लोगों को बीच नजीर पेश की है़ शराबबंदी के कारण ही इनके जीवन में खुशियां आ सकी हैं. शराब पीना छोड़ कर अगर कोई भी व्यक्ति व्यवसाय करना चाहता है तो उन्हें व्यवसाय के लिए आर्थिक मदद करने के लिए मैं तैयार हूं.
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