घोड़ों से गुलजार हुआ मेला, अब तक 3164 घोड़े पहुंचे, 76 की हो चुकी है बिक्री
दिघवारा (सारण) : विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले की ख्याति पशु मेले के तौर पर है. एक जमाना था कि इस मेले में पशुओं की खरीद के लिए राजा-महाराजा आया करते थे.
यहां तक कि इस मेले में बिकने आने वाले जानवरों को खूब ग्राहक मिला करते थे, मगर आधुनिकता के आवरण के बीच निरंतर लिपट रहे इस पशु मेले से पशु ही गायब हो रहे हैं. इससे मेला अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. पहले हाथियों की बिक्री पर पाबंदी लगी तो मेले से हाथी गायब होने लगे. हाथियों की बिक्री बंद होने से जैसे ही मेले में हाथियों का आना कम हुआ तो विदेशी सैलानी भी सोनपुर मेला को दूर से ही बाय-बाय कहने लगे.
रही सही कसर पक्षी मेले में लगने वाली कानूनी पाबंदी ने पूरी कर दी. अब मेो में न तो पक्षी बाजार है और न ही पक्षियों की आवाज की गूंज ही सुनने को मिलती और न ही विदेशी नस्ल के कुत्ते ही दर्शनार्थियों के बीच आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं. हकीकत यह है कि सिर्फ घोड़ा बाजार ही इस पशु मेला की लाज बचा रहा है.
सिर्फ दो हाथी बढ़ा रहे हैं सोनपुर मेले की शोभा : गजग्राह की भूमि सोनपुर में कभी मेले के दौरान दर्जनों हाथी घूमते नजर आते थे. एक जगह पर हाथी बाजार लगता था जहां लोग हाथी का करतब देखने जरूर जाते थे.
मेला घूमने पहुंचने वाले लोग गजराज का करतब देखकर खूब खुश भी होते थे. मगर हाथी की बिक्री की पाबंदी ने मेले से हाथी को गायब कर दिया. इस साल दो हाथी मेला की शोभा बढ़ा रहे हैं. इनमें मोकामा विधायक अनंत सिंह का हाथी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. हाथियों के मेले में पाबंदी से विदेशी सैलानियों की उम्मीदों को झटका लगा है.
बकरी व भेड़ को भी ग्राहक का इंतजार : सरकारी आंकड़े की मानें तो मेले में अब तक दो भैंसें ही बिकने पहुंची हैं. वहीं राजस्थानी बकरियों के अलावा सामान्य बकरी व भेड़ों की संख्या 675 है. इनकी बिक्री की रफ्तार भी धीमी है. कभी गरीबों की गाय समझने वाली बकरी भी दिन भर ग्राहकों के इंतजार में टकटकी लगाये दिखती है.
कई विधायकों के घोड़े मेले में पहुंचे
इस साल पशु मेला के घोड़ा बाजार में ही रौनक है और राज्य के विभिन्न हिस्सों से हजारों घोड़े मेले में आ चुके हैं और अपने ग्राहक का इंतजार कर रहे हैं.
यह बाजार मेले के उद्घाटन की तिथि के दो दिन पहले से ही रंग पकड़ चुका है. कई विधायकों के घोड़े मेले में पहुंच अपने ग्राहकों को रिझा रहे हैं तो दिघवारा के ब्रजेश सिंह के 14 माह की घोड़ी रानी की रफ्तार का हर कोई दीवाना बन रहा है. कुछ रईसों ने अपने घोड़े को सिर्फ नुमाइश के लिए यहां रखा है, जो अपने उद्देश्य के मुताबिक चर्चा में भी है. जैसा घोड़ा वैसा दाम वाली स्थिति घोड़ा बाजार में है.
सरकारी आंकड़े के मुताबिक इस साल अब तक मेले में 3164 घोड़े पहुंचे हैं. इनमें से 76 घोड़ों की बिक्री हो चुकी है. सरकारी आंकड़े के अनुसार अब तक मेले में लगभग 66 गायें आयी हैं. इनमें से कुछ गायों की बिक्री हो चुकी है. गाय बाजार की वीरानगी बिना कुछ कहे सब कुछ बयां कर रही है.
