Samastipur News:समस्तीपुर : जिले के प्रारंभिक स्कूलों के बाद अब राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने, उसके आधुनिकीकरण और आधारभूत संरचना के निर्माण पर शिक्षा विभाग खर्च करेगा. वर्ष 2020 के पहले स्थापित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों के दिन अब बदलेंगे. पहले से संचालित इन विद्यालयों को आधारभूत संरचना के साथ सुदृढ़ बनाया जायेगा. शिक्षा विभाग के सचिव ने जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इन स्कूलों के स्थलीय निरीक्षण का आदेश दिया है. 18 बिंदुओं पर इस पर तीन दिन में रिपोर्ट मांगी गई है. पक्के कमरों की संख्या से लेकर पंखे, अटल टिंकरिंग लैब की रिपोर्ट देने को कहा गया है. राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में बच्चों को इस सत्र से पढ़ाई समेत सभी तरह के संसाधन उपलब्ध कराने के लिए यह पहल की गई है. विद्यालय का नाम, शिक्षकों की संख्या, छात्रों की संख्या, विद्यालय के पास भूमि, विद्यालय में कुल पक्के कमरों की संख्या, विद्यालय में शौचालय की संख्या, स्मार्ट क्लास है या नहीं, आईसीटी लैब है या नहीं, प्रयोगशाला, पुस्तकालय समेत अन्य ब्योरा मांगा गया है. अटल टिंकरिंग लैब है या नहीं, पर्याप्त फर्नीचर की संख्या और जरूरत कितने की है, इससे संबंधित जानकारी भी तलब की है. मालूम हो कि अब तक जिला शिक्षा पदाधिकारियों को 50 लाख रुपये तक के निर्माण कार्य कराने का अधिकार था. वहीं, 50 लाख से अधिक लागत की योजनाओं का कार्य निगम करता है.
31 मार्च के बाद सभी तरह के निर्माण निगम ही करेगा
31 मार्च के बाद सभी तरह के निर्माण निगम ही करेगा. लंबित कार्यों को भी निगम को स्थानांतरित कर दिया जायेगा. वहीं, स्कूल के प्रधानाध्यापकों को मरम्मति आदि कार्यों के लिए 50 हजार तक का कार्य कराने का अधिकार पूर्व की भांति जारी रहेगा. कमरों की मरम्मत, पेयजल के लिए नल आदि को ठीक कराने आदि कार्य के लिए प्रधानाध्यपकों के पाय यह अधिकार जारी रखने का निर्णय हुआ है. विभाग ने कहा है कि वर्तमान में जिला स्तरीय कमेटी से जिला स्तर पर विकास कार्यों के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी अधिकतम 50 लाख तक की योजना ले सकते हैं. ऐसी स्थिति में एक ही स्कूल परिसर में अनेक योजनाएं 50 लाख की सीमा के अंदर की क्रियान्वित हैं. एक ही परिसर में कई संवेदक काम करा रहे हैं. इससे योजनाओं में काफी वृद्धि हो गयी है और इसकी गुणवत्ता की मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है. साथ ही जिला स्तर पर निर्माण कार्य कराये जाने से शिक्षा पदाधिकारी स्कूलों के शैक्षणिक कार्य में पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं.
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