पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, अनुसंधान एवं प्रसार गतिविधियां विषय पर जारी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरण के साथ ही सम्पन्न हुआ. अध्यक्षता करते हुए प्रसार शिक्षा उप निदेशक प्रशिक्षण डा विनिता सतपथी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन विश्व की समस्या बनी हुई है. इस तरह के हालात से आने वाले पीढ़ियों को संरक्षित एवं सुरक्षित बनाए रखने के लिए मृदा की गुणवत्ता एवं स्वास्थ्य प्रबंधन की दिशा में कार्य करने की जरूरत है. मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, मिट्टी की गुणवत्ता और स्वास्थ्य को बनाये रखने और बेहतर करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है. जिसमें जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग, मृदा परीक्षण और उचित जल प्रबंधन शामिल हैं. मिट्टी की उर्वरता और पोषक तत्वों की कमी जानने के लिए मृदा परीक्षण आवश्यक है. रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक खाद और जैव-उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है. सिंचाई और जल निकासी को उचित तरीके से प्रबंधित करना मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक फूलचंद ने किया. मौके पर जयप्रकाश, टेक्निकल टीम के सुरेश कुमार, सूरज कुमार, विक्की कुमार आदि मौजूद थे.
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