समस्तीपुर . सभी सरकारी शिक्षकों के वेतन निर्धारण का री-कैलकुलेशन होगा. इससे पता चल जायेगा किस शिक्षक के वेतन निर्धारण में कहां गड़बड़ी की गई है. विशिष्ट शिक्षकों से लेकर अन्य शिक्षकों के वेतन निर्धारण में अलग-अलग अंतर-गड़बड़ी की शिकायत सामने आने पर यह निर्देश दिया गया है. शिक्षा की बात-हर शनिवार कार्यक्रम में वेतन निर्धारण में गड़बड़ी को लेकर शिक्षकों ने मुद्दा उठाया था. इस पर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने यह निर्देश दिया है. शिक्षकों ने कहा था कि एक ही प्रवृति और एक ही प्रक्रिया से नियुक्त शिक्षकों के वेतन में अलग-अलग जिलों में काफी भिन्नता है. किसी को कुछ वेतन मिल रहा है तो किसी का वेतन कुछ और है. इस पर अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि फिक्सेशन के आधार पर सभी शिक्षकों के वेतन की पुन: गणना की जायेगी. इसमें अंतर पाये जाने पर एरियर का भुगतान होगा. इसके लिए विभाग के स्तर से एक कमेटी बनाई जायेगी. एसीएस द्वारा कहा गया था कि वेतन निर्धारण में कई तरह की समस्या है. इसमें हुई त्रुटि सिस्टम में दिख रही है. किसी को केवल मूल वेतन ही मिल रहा है. इन्हें इन्क्रीमेंट आदि का लाभ भी नहीं मिल रहा है. वहीं, कई को इन्क्रीमेंट के साथ वेतन मिल रहा है. इन सब भिन्नता पर विभाग की नजर है और इसके निदान को लेकर निर्णय लिया गया है कि एक ऐसी कमेटी बनाई जाए जिसके समक्ष संबंधित शिक्षक अपनी आपत्ति दर्ज करा सकें. इन आपत्तियों का समाधान किया जायेगा. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अभी हमारा फोकस सभी शिक्षकों का वेतन शुरू करवाना है. अभी प्रक्रिया चल रही है. प्रयास है कि सभी शिक्षकों का वेतन शुरू हो जाये. अभी वेतन शुरू होने से पहले कई तरह की समस्या है. किसी के प्रान तो किसी के अन्य चीज में गड़बड़ी है.
एक बीमार शिक्षक सभी रिक्ति को कवर कर ले रहे है
एक स्कूल में एक ही बीमार शिक्षक रहेंगे. तीन से चार रिक्ति रहने पर भी एक स्कूल में बीमारी से ग्रसित एक ही शिक्षक का पदस्थापन हो रहा है. जिले समेत सूबे में असाध्य रोग से पीड़ित शिक्षकों का पहले चरण में स्थानांतरण हो रहा है. एक शिक्षक का पदस्थापन करते ही अन्य रिक्ति लॉक हो जा रही है. अन्य रिक्ति रहने पर भी दूसरे शिक्षक का पदस्थापन नहीं हो रहा है. अबतक 20 फीसदी शिक्षकों का भी इसी वजह से पदस्थापन नहीं हो पाया है. असाध्य रोग से पीड़ित शिक्षकों का पदस्थापन किया जा रहा है. इसके लिए विभाग की ओर से इस तरह का साफ्टवेयर बनाया गया है कि एक स्कूल में जैसे ही एक पद इन शिक्षकों के लिए आवंटित किया जाता है, अन्य सीट लॉक हो जा रहे हैं. इस सारी प्रक्रिया में फिर से रिक्ति बनानी पड़ रही है. एक बीमार शिक्षक सभी रिक्ति को कवर कर ले रहा है. वीसी में इसकी समीक्षा के दौरान सामने आया कि ऐसा इस वजह से किया जा रहा ताकि एक स्कूल में बीमारी से ग्रसित दो-तीन शिक्षकों का एक साथ पदस्थापन नहीं हो पाये. एक शिक्षक का ट्रांसफर करने पर ही सूची में शामिल अगले नंबर के शिक्षक का नाम आ रहा है. जब एक शिक्षक की प्रक्रिया पूरी कर विद्यालय पदस्थापन नहीं कर दिया जा रहा, तब तक अगले शिक्षक के ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू नहीं कर पा रहे हैं. विभिन्न जिलों से इसकी वजह से आ रही समस्या को अधिकारियों को सामने रखा गया. इसमें बताया गया कि यह इस वजह से है ताकि स्कूल पदस्थापन में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो. ट्रांसफर में अब एक नई चीज जोड़ी गई है. इसके अनुसार जिस जिले से जितने शिक्षक का ट्रांसफर हो रहा है, वह रिक्ति के रूप में सार्वजनिक हो जा रही है. हालांकि, यह प्रक्रिया अभी काफी धीमी है. लेकिन विभाग ने इस पहल करन शुरू कर दिया है.
ट्रांसफर आवेदन रद्द करने का शिक्षकों को कारण बताना होगा
रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के ओटीपी से ही शिक्षक अपना ट्रांसफर आवेदन रद्द कर सकेंगे. ट्रांसफर आवेदन रद्द करने का शिक्षकों को जायज कारण बताना होगा. उस कारण के आधार पर ही उनके अनुरोध पर सार्थक विचार किया जायेगा. विभाग ने ट्रांसफर आवेदन रद्द करने की प्रक्रिया को लेकर निर्देश जारी किया है. ऐसे शिक्षक जो ट्रांसफर आवेदन रद्द करना चाहते हैं, उन्हें पहले रद्द करने का कारण बताना होगा. इसमें मन बदल गया समेत अन्य कारण दिए गए हैं, जिनमें किसी एक को उन्हें चुनना होगा. इसके बाद शिक्षकों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ओटीपी जायेगा. इसके आधार पर अभ्यर्थी सबमिट कर सकेंगे. विभाग ने निर्देश दिया है कि शिक्षक अपने कोड के जरिए इसे देख सकते हैं. इधर, आवेदन रद्द करने को लेकर शिक्षकों ने कहा कि इस समय जो कोड दिखाया जा रहा है, वह पहले दिखाना चाहिए था. जिन शिक्षकों को मनचाहे जगह पर पोस्टिंग नहीं मिल सकी है वैसे शिक्षक ही आवेदन रद्द करेंगे.
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