Samastipur News:पूसा : राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के तत्वावधान में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डायट में पपेट मेकिंग एंड थिएटर इन एजुकेशन विषय पर 3 दिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन हुआ. इसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी कामेश्वर प्रसाद गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे. श्री गुप्ता ने कहा कि इस तरह के आयोजन से विलुप्त होती जा रही कलाओं का संरक्षण संभव है. उन्होंने विषय विशेषज्ञों द्वारा दिये गये प्रशिक्षण और प्रशिक्षुओं द्वारा सीखी गयी कला के प्रदर्शन की सराहना की. इससे पूर्व डायट की प्राचार्य डॉ श्वेता सोनाली ने एवं वरीय व्याख्याता अनिल कुमार सिंह ने प्रतीक चिह्न एवं अंगवस्त्र भेंट स्वरूप प्रदान कर जिला शिक्षा पदाधिकारी का स्वागत किया. साथ ही सभी प्रतिभागियों को संयुक्त रूप से प्रमाण पत्र एवं राज्य के अन्य शिक्षण संस्थान से आये हुए विषय विशेषज्ञ संतोष कुमार राणा, अजित कुमार, कृष्ण मोहन, सुनील कुमार को अंग वस्त्र एवं प्रतिक चिह्न देकर सम्मानित किया. इस अवसर पर संस्थान की प्राचार्य डॉ श्वेता ने प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि कला समेकित शिक्षा छात्रों को समग्र विकास, सृजनात्मकता, आत्मविश्वास, संचार कौशल, समस्या समाधान, सांस्कृतिक समझ और आनंद प्रदान करती है. यह छात्रों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास में मदद करती है. साथ ही उनका आत्मविश्वास बढ़ता है. बाहर से आये हुए एक्सपर्ट ने बताया कि 3 दिवसीय कार्यशाला कला समेकित शिक्षा अंतर्गत प्रशिक्षुओं ने बैलून पपेट, स्टिक पपेट, सॉक्स पपेट, फिंगर पपेट, पेपरमेसी के माध्यम से पपेट निर्माण, शैडो पपेट, रबर पपेट का निर्माण किया गया. कठपुतली विशेषज्ञ सुनील कुमार ने बताया कि कठपुतली कला में कई कलाओं का मिश्रण है. इसमें लेखन, नाट्य कला, चित्रकला, मूर्तिकला, काष्ठ कला, वस्त्र-निर्माण कला, रूप-सज्जा, संगीत, नृत्य आदि शामिल हैं. संतोष कुमार राणा ने बताया कि कठपुतली कला के माध्यम से सामाजिक विषयों जैसे पर्यावरण, जल संरक्षण, मतदाता जागरूकता के साथ-साथ हास्य-व्यंग्य तथा ज्ञान विज्ञान संबंधी अन्य मनोरंजक कार्यक्रम दिखाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. अनिल कुमार सिंह ने कहा कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षुओं को कला नीति 2020 के अनुरूप शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में कला के बहुविषयक उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया. अजित कुमार ने बताया कठपुतली कला छात्रों को अपने विचारों को व्यक्त करने आत्मविश्वास बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है. कार्यशाला के माध्यम से प्रशिक्षुओं को कक्षा स्तरीय अध्यापन में कला के प्रभावी समावेश, विभिन्न विषयों के साथ इसके अंतः विषयक संबंधों को समझने तथा प्रयोगात्मक रूप से उपयोग करने का अवसर प्रदान किया गया. विशेषज्ञ कृष्ण मोहन ने थियेटर इन एजुकेशन में विभिन्न तरह का आइसब्रेकर, शब्दों और वाक्यों को अभिनय और गीत के माध्यम से सिखाना, शुद्ध उच्चारण और स्टोरी टेलिंग के कई रूप सिखाये गये. अंतिम सत्र भी संयुक्त सत्र था जिसमें टैगोर की कहानी ””””तोता”””” कहानी को रिसोर्स पर्सन संतोष राणा और अजीत कुमार ने प्रस्तुत किया. इस अवसर पर प्रशिक्षु एवं संस्थान के व्याख्याता शिव किशोर, सुरेश कुमार, मयूराक्षी मृणाल, दीनानाथ राय, मो. रिजवान अंसारी, मो. मुन्ना आदि उपस्थित थे. मंच संचालन डॉ अंकिता एवं कार्यक्रम का संचालन आयोजन सचिव यशवंत कुमार शर्मा ने किया.
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