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आचरणवान गुरु ही जीवन को आदर्श बना सकते हैं : वैष्णवी

गुरु ही जीवन का आधार और मार्गदर्शक होते हैं. गुरु में आस्था रखना ही सबसे बड़ी तपस्या है. क्योंकि सम्पूर्ण ज्ञान का स्रोत गुरु ही हैं.

बिथान. प्रखंड अंतर्गत जगमोहरा पंचायत के बेजोड़ सराकता गांव में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का समापन भक्तिभाव से सम्पन्न हुआ. अंतिम दिन अयोध्या धाम से पधारी कथा वाचिका बाल विदूषी वैष्णवी त्रिपाठी ने अपने भावपूर्ण प्रवचन से समस्त श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया. उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता को जीवन का प्रेरणा स्रोत बताते हुए कहा कि गुरु ही जीवन का आधार और मार्गदर्शक होते हैं. गुरु में आस्था रखना ही सबसे बड़ी तपस्या है. क्योंकि सम्पूर्ण ज्ञान का स्रोत गुरु ही हैं. उन्होंने कहा कि जीवन को सफल बनाना है तो सक्षम, समर्थ एवं शास्त्रज्ञ गुरु का चयन करें. क्योंकि एक आचरणवान गुरु ही सच्चे अर्थों में जीवन के आदर्श बन सकते हैं. उन्होंने कहा कि सच्ची मित्रता जीवन को संवार देती है. भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता आज भी मानवता के लिए मिसाल है. यदि जीवन में सुख-समृद्धि चाहिए तो सुदामा की तरह विनम्र बनकर द्वारिकाधीश के द्वार पर जायें. प्रभु अवश्य कृपा करेंगे. उन्होंने कहा कि मनुष्य को कभी भी अपनी ईमानदारी और सच्चाई नहीं छोड़नी चाहिए. क्योंकि यही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है. कथा के समापन अवसर पर कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भक्ति गीतों ने समूचे वातावरण को भक्तिरस में डुबो दिया.

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