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पकड़े जाने के भय से सक्षमता के लिए नहीं कर रहे आवेदन

एक ही टीईटी, एसटीईटी व बी-टेट के रौल नंबर पर कई जिलों में कई शिक्षक कार्यरत

समस्तीपुर : निगरानी विभाग ने प्रमाणपत्रों के जांच के आधार पर जिले के कुछ प्रखंडों के दर्जनों शिक्षकों के नियोजन पर सवाल खड़े किये हैं. एक ही टीईटी, एसटीईटी और बी-टेट के रौल नंबर पर कई जिलों में कई शिक्षक कार्यरत हैं. पकड़े जाने के भय से सक्षमता परीक्षा के लिए भी आवेदन नहीं कर रहे हैं. पूर्व में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के एसपी ने सभी डीपीओ स्थापना को पत्र जारी कर वर्ष 2012 से जून 2015 तक टीईटी पर नियोजित वैसे शिक्षकों का विवरण की भी मांग की थी, जिनके विरुद्ध टीईटी फर्जी होने के कारण निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के पदाधिकारी द्वारा प्राथमिक दर्ज कराया गया हो लेकिन इस पत्राचार के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. निगरानी की जांच में अवैध रूप शिक्षक अभ्यर्थियों का नियोजन करने की बात कही गई है. किसी शिक्षक अभ्यर्थी का मेधा अंक बढ़ाकर नियोजन किया गया है तो किसी शिक्षक अभ्यर्थी का नियोजन के बाद प्रमाण-पत्र को ही बदल दिया गया है. यहां तक कि इंटर की परीक्षा 45% से कम अंक के साथ उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थी का भी नियोजन किया गया है. सक्षमता परीक्षा में सम्मिलित होने वाले शिक्षकों के आवेदन के साथ एसटेट, बीटेट, सीटेट का सर्टिफिकेट अपलोड करना अनिवार्य था. इसी दौरान एक मामला जिले से संज्ञान में आया कि कई ऐसे शिक्षक हैं, जिनके पात्रता सर्टिफिकेट पर एक से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं. मामला उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कौन शिक्षक फर्जी सर्टिफिकेट पर काम कर रहे हैं और किनका सर्टिफिकेट ओरिजिनल है. ये पता लगाना भी जरूरी है. सीरियल नंबर के आधार पर शिक्षकों को अपने पूरे डॉक्यूमेंट के साथ समिति के कार्यालय पहुंचना है. समिति में अधिकारी सभी का सर्टिफिकेट जांच करेंगे और तय करेंगे कि किसका सर्टिफिकेट ओरिजिनल है और किसका डुप्लीकेट. जिनका सर्टिफिकेट डुप्लीकेट पाया जायेगा, उन पर कार्रवाई तय है. बताते चलें कि राज्यकर्मी बनने के लिए नियोजित शिक्षकों के लिए विभाग ने सक्षमता परीक्षा अनिवार्य कर दिया है. इधर, शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा के आधार पर नौकरी की मलाई खा रहे लोगों के लिए बुरी खबर है. हाइकोर्ट के कड़े रुख के बाद शिक्षा विभाग ने सख्ती दिखाते हुए निगरानी जांच के लिए शिक्षक नियोजन फोल्डर व मेधा सूची उपलब्ध कराने में आनाकानी करने वाले नियोजन इकाई पर जल्द ही प्राथमिकी हो सकती है. वहीं, साल 2006 से 2008 तक अनुभव प्रमाणपत्र के वेटेज के लाभ लेकर नियुक्त हुए नियोजित शिक्षकों के अनुभव प्रमाणपत्र का संस्थान द्वारा जांच करायी जायेगी. अगर, संस्थान द्वारा जांच के दौरान अनुभव प्रमाण पत्र गलत पाया जाता है, तो संबंधित शिक्षक का नियोजन रद्द करते हुए सेवामुक्त कर दिया जायेगा. वर्ष 2006 से 2008 में नियोजन के दौरान अनुभव प्रमाण पत्र देने वाले शिक्षकों को चार नंबर नियोजन में वेटेज मिला था. नियोजन के दौरान ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने साक्षरता सब पढ़े, सब बढ़े सहित सरकार द्वारा संचालित प्रथम पाठन योजनाओं में कार्य किये थे व उन्हें उनको प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ था. ऐसे अभ्यार्थियों को नियोजन में लाभ मिला. उसके आधार पर शिक्षक अपना नियुक्ति करा लिये व नौकरी कर रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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