समस्तीपुर. स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 ने शहरों के लिए स्वच्छता की परिभाषा ही बदल दी है. अब केवल सड़कें साफ होना या कचरे का समय पर उठना ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि शहर की रैंकिंग उसकी नदी की सेहत से भी सीधे तौर पर जुड़ गई है. केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन में रिवर टाउन की अवधारणा को और मजबूत किया गया है. गंगा, बूढ़ी गंडक जैसी प्रमुख नदियों के तट पर बसे शहरों के लिए जल गुणवत्ता, घाटों की स्वच्छता और नदी किनारे रहने वाले नागरिकों का अनुभव निर्णायक होगा. स्वच्छ सर्वेक्षण 2025-26 को 12,500 अंकों की राष्ट्रीय परीक्षा की तरह डिजाइन किया गया है. इसमें रिवर टाउंस के लिए अलग से कड़े मानक तय किये गये हैं. नदी घाटों की सफाई, सीवेज प्रबंधन, औद्योगिक अपशिष्ट का निस्तारण और नदी में गिरने वाले नालों की स्थिति का गहन आकलन होगा. केवल कागजी दावों से नहीं, बल्कि मौके पर वास्तविक स्थिति देखकर अंक दिए जायेंगे. नगर निगम के मेयर अनीता राम ने बताया कि केंद्र सरकार ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2025-26 के लिए नया टूलकिट जारी कर दिया है. इस बार शहरों की रैंकिंग 12,500 अंकों के आधार पर तय होगी. सर्वेक्षण में 10 प्रमुख सेक्शन, 54 इंडिकेटर और 166 सब-इंडिकेटर शामिल किये गये हैं. सर्वेक्षण की नई थीम ””””स्वच्छता की नयी पहल-बढ़ाएं हाथ, करें सफाई साथ”””” रखी गई है. इस वर्ष ””””दृश्य स्वच्छता”””” पर विशेष जोर रहेगा, यानी शहर केवल कागजों पर नहीं, बल्कि धरातल पर भी साफ दिखना चाहिए. नई गाइडलाइन के तहत सिटीजन फीडबैक के महत्व को बढ़ा दिया गया है. पिछले साल इसके लिए 500 अंक निर्धारित थे, जिसे इस बार बढ़ा कर 1,000 अंक कर दिया गया है. नागरिकों से फीडबैक फोन कॉल और ऑन-फील्ड असेसमेंट के जरिए लिया जायेगा. स्वच्छता सर्वेक्षण 2025-26 में शामिल होने के लिए नगर निगम मार्च से पहले आवेदन करेगा. फिलहाल ऑनलाइन पोर्टल नहीं खुला है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि विंडो खुलते ही आवेदन कर दिया जायेगा. आवेदन के बाद थर्ड पार्टी एजेंसी द्वारा निरीक्षण होगा.
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