Samastipur News: समस्तीपुर : जिले के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में छात्राओं को स्मार्ट तरीके से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराई जायेगी. छात्राएं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अपने डाउट को आसानी से क्लीयर कर सकेंगी. शिक्षा विभाग ने नौवीं से 12वीं तक की छात्राओं के लिए यह व्यवस्था स्कूल में बनाने को लेकर स्वीकृति दी है. इसे लेकर प्रक्रिया करने के लिए शिक्षा विभाग के सचिव ने डीईओ को निर्देशित किया है. योजना के तहत स्कूलों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए फाउंडेशन एवं एडवांस ट्रेनिंग के लिए डिजिटल शिक्षा का सहारा लिया जायेगा. लाइव कक्षाएं, प्री-रिकार्डेड कंटेट, टेस्ट शृंखला, एआई आधारित डाउट क्लीयरिंग, डैश बोर्ड मॉनिटरिंग एवं पैरेंट इंटरफेस की व्यवस्था होगी. इसके लिए प्रति विद्यालय डेढ़ लाख की स्वीकृति दी गई है. इसमें प्रतिष्ठित कंपनी के स्मार्ट/एंड्रायड/गूग ल टीवी 75 इंच हाई रिजॉल्यूशन, 4के/क्यूलेड मॉडल के अलावा वाई-फाई राउटर के साथ और इनवर्टर-बैटरी सहित आवश्यकतानुसार फर्नीचर/पंखा, लाइट आदि की खरीद होगी. राशि की निकासी संबंधित जिले के डीपीओ योजना एवं लेखा सह निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी द्वारा की जायेगी. कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में बालिकाओं को अब नीट प्रतियोगिता परीक्षा की बारीकियां सिखाई जायेगी. इसके जरिए बालिकाओं की मेडिकल शिक्षा को पंख लगेंगे. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के माध्यमिक-उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में आधारभूत संरचना विकास योजना के तहत जिले के पांच कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों को स्मार्ट टीवी से लैस किया जायेगा. नौवीं से बारहवीं कक्षाओं की छात्राओं को जेईई व नीट प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए फांउडेशन व एडवांस ट्रेनिंग की सुविधा दी जायेगी. विद्यालय स्तर पर इस योजना के अनुश्रवण की जिम्मेवारी संबंधित विद्यालय के प्रबंध समिति की होगी. जिलास्तर पर डीईओ तो राज्य स्तर बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक की होगी. विदित हो कि दो साल पहले सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की तकनीकी व चिकित्सा शिक्षा (नीट/आईआईटी-जेईई) में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा की तैयारी के लिए आइसीटी लैब की ई-लाईब्रेरी में बच्चों का माक टेस्ट कराने का निर्णय शिक्षा विभाग ने लिया था. माॅक टेस्ट के माध्यम से तैयारी परखी जा रही है. माॅक टेस्ट अभ्यास परीक्षण होता है, जिन्हें वास्तविक परीक्षाओं के समान बनाया जाता है. इनका उपयोग छात्रों को वास्तविक परीक्षा के समान परिस्थितियों में प्रश्नों के उत्तर देने का अभ्यास करने की अनुमति देकर परीक्षा की तैयारी में मदद करने के लिए किया जाता है. माॅक टेस्ट परीक्षण लेने के कौशल काे बढ़ाने का एक बेहतर तरीका है. बार-बार अभ्यास से उम्मीदवार समय सीमा के भीतर प्रश्नों का उत्तर देना सीख और समझ सकते हैं कि अधिकतम अंकों के लिए परीक्षा की तैयारी कैसे करें.
पढ़ाई छोड़ने की दर में आयी कमी
केजीबीवी स्कूलों ने ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के नामांकन दर में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे माध्यमिक स्तर पर पढ़ाई छोड़ने की दर में कमी आई है. लेकिन अभी और प्रयास की जरूरत है. बताते चलें कि बिथान, दलसिंहसराय, खानपुर, पूसा, समस्तीपुर में संचालित केजीबीवी टाइप फोर को इस योजना के तहत चयनित किया गया है. करीब चार सौ लड़कियों को नीट/आईआईटी-जेईई में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा की तैयारी कराई जायेगी. डीपीओ एसएसए जमालुद्दीन ने बताया कि स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ नीट की तैयारी करना भारी लग सकता है. नीट का विस्तृत पाठ्यक्रम और स्कूल पाठ्येतर गतिविधियों के साथ मिलकर, अक्सर छात्रों को तनावग्रस्त कर देता है और उन्हें तैयारी में बने रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. स्कूल व नीट की तैयारी में संतुलन बनाना आसान नहीं है. नीट का पाठ्यक्रम भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान को गहराई से कवर करता है, जिसके लिए समर्पित अध्ययन समय की आवश्यकता होती है. इन समस्याओं को ध्यान में रखकर पहले एक संतुलित अध्ययन कार्यक्रम तैयार किया जायेगा और बच्चियों को नीट की तैयारी कराई जायेगी. सीखने के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करके, केजीबीवी ने लड़कियों को सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाया है. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि केजीबीवी केवल एक योजना नहीं, बल्कि भारत की ग्रामीण और हाशिए पर पड़ी लड़कियों के भविष्य को आकार देने वाली एक परिवर्तनकारी पहल है. अपनी चुनौतियों का समाधान करने के निरंतर प्रयासों के साथ, केजीबीवी में सार्वभौमिक शिक्षा और लैंगिक समानता के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता है.
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