Samastipur News:मोहिउद्दीननगर. प्रखंड की करीमनगर पंचायत में हजरत रहमतुल्लाह अलैह बाबा सरवर के मजार पर रविवार की शाम तीन दिवसीय गागर मेले का आगाज किया गया. इस दौरान सैकड़ों की तायदाद में पहुंचे जायरीनों ने मजार पर गुलपोशी कर मुल्क में अमन व तरक्की की दुआएं मांगी. मेले की शुरुआत में कुआं जल भरने के बाद सैकड़ों की तादाद में अकीदतमंद जुलूस की संख्या में पहुंचे. रास्ते में आपसी सद्भाव व एकता का संदेश देते हुए बाबा सरवर के मजार पहुंचे. जहां गागर में जल भरा गया. इस आयोजन में सभी समुदाय के लोगों ने शिरकत की. इस दौरान मो.भोला ने लोगों से अरसे से इलाके में गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखते हुए आपसी मिल्लत के साथ रहने की अपील की. मो. इलियास ने कहा कि फिरकापरस्त ताकतें अपने नापाक इरादों के लिए मुल्क को कमजोर करने में तुली हुई हैं. ऐसी ताकतों के मंसूबों को फिलवक्त नाकामयाब करने की जरूरत है. झार बाबा ने लोगों से हुनरमंद होने व तालीम को तवज्जो देने की बात कही.
अकीदतमंदों ने मांगी अमन व तरक्की की दुआएं
मो. शकील ने हर मुश्किल हालात में वतन की हिफाजत करने की लोगों से वकालत की. मो.सलाम व मो. कलाम ने बुजुर्गों की खिदमतगार बनने, नेकी के रास्ते पर चलने, गरीबों की मदद करने व दकियानूसी विचारधारा से बचने की सलाह दी. इस मौके पर मुखिया रेखा देवी, पंसस नसीमा खातून, संतोष कुमार सुमन, कुमुद साह, सुभाष चौधरी, मंजूर, अनवर , मो. शहादत सहित बड़ी तायदाद में अकीदतमंद मौजूद थे.
कभी क्षेत्र के बड़े मेले में शुमार था गागर मेला
मुगलगिया सल्तनत व ब्रिटिश हुकूमत के दौरान इस मेले की शान ए शौकत कुछ अजीब सी थी. हिंदू मुस्लिम एकता का गवाह बना मेला अब अपनी उपेक्षा का दंश झेल रहा है. कभी इस मेले में कभी उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की शहनाई, राम चतुर मलिक का द्रुपद सहित हिंदुस्तान के नामचीन कलाकारों का केंद्र हुआ करता था. किंतु अब सब अतीत की बात रह गई है. कुछ लोग अभी भी अपनी जड़ों से जुड़े हैं और परम्पराओं का निर्वहन कर रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

