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फर्जीवाड़ा कर 1.23 लाख का भुगतान

शिक्षा स्वयंसेवी व बीपीसी पर प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश डीपीओ साक्षरता ने बीइओ को भेजा पत्र समस्तीपुर : फर्जी नियोजन पत्र पर काम कर रहे तथाकथित शिक्षा स्वयंसेवी व अवैध रूप से अनुपस्थिति डिटेल्स भेजने व पिछले दो साल से भी अधिक समय से भुगतान की गयी राशि का मामला प्रकाश में आने के […]

शिक्षा स्वयंसेवी व बीपीसी पर प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश

डीपीओ साक्षरता ने बीइओ को भेजा पत्र
समस्तीपुर : फर्जी नियोजन पत्र पर काम कर रहे तथाकथित शिक्षा स्वयंसेवी व अवैध रूप से अनुपस्थिति डिटेल्स भेजने व पिछले दो साल से भी अधिक समय से भुगतान की गयी राशि का मामला प्रकाश में आने के बाद डीपीओ साक्षरता संजय कुमार चौधरी ने सरायरंजन के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पत्र भेज सुसंगत धाराओं के अधीन प्राथमिकी दर्ज कराने का सख्त निर्देश जारी किया है. जानकारी के मुताबिक तथाकथित शिक्षा स्वयंसेवी मुल्तान का अनुपस्थिति डिटेल्स नहीं भेजे जाने के कारण जब राशि भुगतान की प्रक्रिया पर रोक लगी, तो परत दर परत फर्जीवाड़े का मामला सामने आने लगा. इस संबंध में जब डीपीओ के द्वारा शिक्षा स्वयंसेवी से पूछताछ की गयी, तो पता चला कि उनका चयन उक्त पद पर प्राथमिक मकतब, द्वारिकापुर में किया गया
फर्जीवाड़ा कर 1.23
है व वर्तमान में वे बीपीसी के कार्यालय आदेश के आलोक में उमवि, अहमदपुर में केंद्र का संचालन कर रहे हैं. जब आदेश की प्रति का अवलोकन डीपीओ के द्वारा किया गया, तो मामला संदेहास्पद प्रतीत हुआ. मामले को गंभीरता से लेते हुए बीपीसी से अनुपस्थिति एवं समेकन डिटल्स की मांग की गयी. इसमें चला कि अनुपस्थिति विवरणी प्राथमिक मकतब, द्वारिकापुर द्वारा निर्गत है, जबकि बीपीसी द्वारा प्रस्तुत समेकन विवरणी पर प्राथमिक विद्यालय, दामोदरपुर अंकित है.
शिक्षा स्वयंसेवी का नाम सुन हैरान रह गयी एचएम
प्राथमिक मकतब, द्वारिकापुर के एचएम द्वारा बताया गया कि मुल्तान नाम का कोई भी व्यक्ति स्वयंसेवी के तौर पर विद्यालय में कार्यरत नहीं है और न ही उनके द्वारा अनुपस्थिति विवरणी निर्गत की गयी है. अनुपस्थिति विवरणी पर किया गया हस्ताक्षर व मुहर भी जाली पाया गया. बीपीसी के कार्यकलाप भी संदेह के घेरे में आ गया है. शिक्षा स्वयंसेवी व बीपीसी ने मिलीभगत से फर्जी नियोजन पत्र निर्गत कर सत्यापन प्रतिवेदन भी फर्जी रूप से समर्पित कराया एवं फर्जी अनुपस्थिति के आधार पर 28 अप्रैल, 2014 से जून 2016 तक एक लाख 23 हजार 644 रुपये का अवैध भुगतान प्राप्त किया है.

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