Samastipur News:समस्तीपुर : जिले के 990 मध्य विद्यालय में गणित एवं विज्ञान विषयों में कक्षा 6 से 8 के बच्चों को पीबीएल कार्यक्रम के तहत प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण के लिए विभागीय आदेश दिए गये थे. प्रत्येक महीने विभाग के द्वारा महीने के शुरुआती दिनों में प्रोजेक्ट के संबंध में दिशा निर्देश, प्रोजेक्ट का लिंक,प्रोजेक्ट को सुगम बनाने के लिए कई प्रकार के डिजिटल सामग्री सहित हैंड्स नोट उपलब्ध कराये जाते है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य सभी विद्यालयों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को उनके ही द्वारा प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रेरित किया जाना है. बच्चों के द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट को गणित विज्ञान के शिक्षकों के द्वारा फोटो और वीडियो बनाकर दीक्षा ऐप पर एमआईपी किया जाना होता है. इसके लिए 5 दिन शिक्षकों के द्वारा बच्चों को सहयोग करते हुए प्रोजेक्ट बनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है. इन सब का दीक्षा पोर्टल द्वारा देश स्तर पर मॉनिटरिंग किया जाता है. वर्तमान में यह आधे कम विद्यालयों में ही इसका क्रियान्वयन किया जा रहा है. शिक्षा विभाग विद्यालयों में गणित और विज्ञान विषय को रोचक बनाने के उद्देश्य से कार्यक्रम को लॉन्च किया था, जो धरातल पर खराब स्थितियों से गुजर रहा है. विभागीय समीक्षोपरान्त जो रिपोर्ट तैयार की गई है उसके मुताबिक 990 विद्यालयों में से 169 ही प्रोजेक्ट में प्रतिभागी है. साथ ही 17 फीसदी विद्यार्थी ही प्रोजेक्ट में प्रतिभागी बने है. 21 फीसदी ही विद्यालय ने प्रोजेक्ट को पूर्ण किया है. वही 19 फीसदी ही विद्यालय है जिन्होंने साक्ष्य अपलोड किया है. इसके क्रियान्वयन की स्थिति को देखते हुए एकबार फिर से शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. मध्य विद्यालयों के शिक्षकों को यह बताया गया कि उपलब्ध संसाधनों और तकनीक का उपयोग कर पढ़ाई को कैसे रोचक और प्रयोगात्मक बनाया जा सकता है. परियोजना आधारित शिक्षण से बच्चों में समझ, रचनात्मकता व व्यावहारिक ज्ञान का विकास होता है. लेकिन शिक्षक रूची नहीं ले रहे है. सभी सरकारी प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए प्रोजेक्ट बेस्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम अनिवार्य किया जा रहा है. यह प्रशिक्षण चरणबद्ध ढंग से सभी शिक्षकों को दिया जाएगा. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने कहा कि प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग शिक्षकों के लिए एक सशक्त मंच है, जो विद्यार्थियों के सीखने की प्रक्रिया को अधिक जीवंत, रचनात्मक और अनुभवात्मक बनाता है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों को केवल पढ़ाने तक सीमित नहीं रखना है, बल्कि उन्हें विद्यार्थियों के साथ मिलकर सीखने, खोजने और नए समाधान विकसित करने की दिशा में प्रेरित करना भी है. शिक्षक ईमानदारी से इसे क्रियान्वित करे. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि आज जिले के सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थी भी प्रोजेक्ट और मॉडल के माध्यम से विज्ञान को समझ रहे हैं और अपनी जिज्ञासा के बल पर उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं.
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