उजड़ने व बसाने की पड़ चुकी है आदत
सहरसा. शहरी क्षेत्र में अतिक्रमण का खेल बदस्तूर जारी है. शहर की मुख्य सडकों की कौन कहे अब सहायक सड़कों पर भी अतिक्रमण का खेल शुरू है. जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने एवं लोगों द्वारा फिर से उसी जगह पर अतिक्रमण करने का कार्य जारी है. जिला प्रशासन द्वारा 48 घंटे पूर्व अतिक्रमण हटाने को लेकर मार्किंग करायी जाती है, जिसके बाद अतिक्रमण को हटा दिया जाता है, लेकिन अतिक्रमणकारी इसके बावजूद पुनः उसी जगह पर दूसरे दिन से अतिक्रमण का कार्य शुरू कर देते हैं, जो धीरे-धीरे पूर्ण आकार ले लेता है. जिससे शहरी क्षेत्र जाम की स्थिति से दो चार होता रहता है. इन दिनों जिला प्रशासन विधानसभा चुनाव में फंसा है. इसका लाभ अतिक्रमणकारी धड़ल्ले से उठा रहे हैं. वीर कुवंर सिंह चौक से समाहरणालय एवं थाना चौक से कोल्ड स्टोरेज तक सड़क के दोनों तरफ अतिक्रमण का कार्य हो रहा है. इसके साथ ही दुर्गा पूजा से लेटर छठ पर्व के नाम पर डीबी रोड से महावीर चौक एवं बंगाली बाजार में किया गया अतिक्रमण आज भी जारी है. यह अतिक्रमण का खेल पिछले कई वर्षों से बदस्तूर जारी है. अब अतिक्रमण की नौबत इतनी बढ़ गयी है कि कुछ लोगों द्वारा अतिक्रमित जमीन पर भाड़ा लगाने का कार्य भी शुरू कर दिया गया है. यह हाल पूरे शहरी क्षेत्र में अब संक्रमित बीमारी की तरह फैल चुका है.सड़क किनारे बने नाले पर भी लोगों ने किया अतिक्रमण
शहरी क्षेत्र की ऐसी एक भी सड़क नहीं है, जहां अतिक्रमण कर कोई ना कोई रोजगार लोगों द्वारा शुरू कर दिया गया है. यहां तक की सड़क के किनारे बने नाले को भी अतिक्रमण कर कुछ ना कुछ व्यापार शुरू कर दिया गया है. नाले पर दुकानदारों ने अपने बोर्ड लगा रखे हैं, जिससे सड़क इतनी संकीर्ण हो गई है कि दो वाहन एक साथ गुजर नहीं सकते. रिफ्यूजी कॉलोनी से लेकर महावीर चौक, शंकर चौक, डीबी रोड, थाना चौक, वीर कुंवर सिंह चौक पूरी तरह अतिक्रमण के चपेट में है. जब भी जिला प्रशासन द्वारा अतिक्रमण को हटाया जाता है. उसके दूसरे दिन फिर से दुकानें सज जाती हैं. यही हाल बंगाली बाजार सब्जी मंडी की बनी हुई है. यह सड़क सहरसा स्टेशन जाने के लिए मुख्य सड़क है. इस सड़क के दोनों किनारे बड़ी सब्जी मंडी सुबह से लेकर देर रात तक लगी रहती है. सब्जी विक्रेताओं द्वारा नाले की कौन कहे सड़क पर भी सब्जी की दुकान लगा दिया जाता है, जिससे सड़क इतनी संकीर्ण हो जाती है कि मोटरसाइकिल से गुजरना भी मुश्किल हो जाता है. इतना ही नहीं कचहरी ढाला पर भी अतिक्रमणकारियों के कारण सड़क काफी संकीर्ण हो चुकी है. जिला प्रशासन द्वारा यहां से भी अतिक्रमण हटाया गया, लेकिन दूसरे दिन से ही अतिक्रमणकारी फिर से अपनी दुकान सजाने लगे एवं व्यापार फिर से शुरू कर दिया गया.अतिक्रमणकारियों के हैं हौसले बुलंद
बार-बार अतिक्रमण उजाड़ने के बावजूद भी अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं. जिला प्रशासन द्वारा उन्हें उजाड़ना एवं अतिक्रमणकारियों द्वारा फिर अतिक्रमण का कार्य शुरू करना अब खेल बन चुका है. एक बार जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाकर गयी कि पीछे से अतिक्रमणकारी अपनी दुकानें सजाने लग जाते हैं, जिससे थोड़ी देर के लिए गहमा गहमी तो रहती है, लेकिन अतिक्रमणकारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है.सरकारी जमीन की घेराबंदी है जरूर
जिला प्रशासन सरकारी जमीन से अतिक्रमण तो हटा देता है, लेकिन इसके हटाने के बाद पलट कर फिर से अतिक्रमण हटाए गए जमीन की देखभाल नहीं करती है, जिससे अतिक्रमणकारियों पर अतिक्रमण हटाने का असर नहीं पड़ता है. अतिक्रमण हटाकर जिला प्रशासन अपनी कहानी वही समाप्त कर देती है, जबकि अतिक्रमण हटाने के बाद उन जगहों की सुरक्षा एवं संरक्षण के कोई उपाय लगा दिया जाए तो फिर से अतिक्रमण नहीं हो सकेगा. जिला प्रशासन द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. जिसका लाभ अतिक्रमणकारियों द्वारा बार-बार लिया जाता है.
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