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ऋतिक मोदी मौत मामला : परिजन हताश, विधायक-सांसद से सदन में मुद्दा उठाने की मांग

परिजन हताश, विधायक-सांसद से सदन में मुद्दा उठाने की मांग

संदिग्ध मौत को डेढ़ महीना बीता, अभी तक कुछ नहीं चला है पता सिमरी बख्तियारपुर . नगर परिषद क्षेत्र के स्व नरेश मोदी के पुत्र ऋतिक मोदी की संदिग्ध मौत को डेढ़ महीना बीत चुका है, लेकिन अब तक पुलिस की जांच किसी ठोस निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सकी है. परिजन लगातार न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है. न तो किसी आरोपी की गिरफ्तारी हुई है और न ही जांच में कोई ठोस प्रगति. इसको लेकर न सिर्फ परिजनों में बल्कि आम लोगों में भी गहरा आक्रोश है. लोग चाहते हैं कि अब यह मामला सदन में उठे ताकि जांच की रफ्तार तेज हो और न्याय मिल सके. सदन में गूंजे ऋतिक की आवाज परिजन और आम लोग अब यह चाहते हैं कि यह मामला केवल थाना स्तर तक सीमित न रहे, बल्कि इसे राज्य विधानसभा और लोकसभा में उठाया जाए. विधायक यूसुफ सलाउद्दीन और सांसद राजेश वर्मा से अब स्पष्ट पहल की उम्मीद की जा रही है. यदि वे माॅनसून सत्र में सदन में इस मौत मामले की उचित जांच और अब तक तक हुई कार्रवाई का प्रश्न उठाए तो सरकार का ध्यान इस ओर जायेगा और जांच को नई दिशा मिल सकती है. परिजनों ने कहा, अब तक केवल दिलासा, इंसाफ नहीं ऋतिक मोदी की मां का रो-रोकर बुरा हाल है. वे बार-बार एक ही बात कहती हैं कि मेरे बेटे के हत्यारों को सजा दो, हम बस इंसाफ चाहते हैं. परिजनों का कहना है कि घटना के बाद से लेकर अब तक उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया गया, लेकिन कार्रवाई एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी है. पीड़ित परिवार अब खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है. नेता आये, नहीं हुई ठोस पहल ऋतिक की मौत के बाद जनप्रतिनिधियों का उनके घर आना-जाना खूब रहा. पूर्व सांसद महबूब अली कैशर, विधायक यूसुफ सलाउद्दीन, पूर्व विधायक अरुण यादव, पूर्णिया सांसद पप्पू यादव, मधेपुरा सांसद दिनेश चंद्र यादव और खगड़िया सांसद राजेश वर्मा समेत कई नेताओं ने परिजनों से मुलाकात की. किसी ने 48 घंटे में कार्रवाई का अल्टीमेटम दिया तो किसी ने राज्यपाल से मिलकर आवाज़ उठाने की बात कही. लेकिन परिजनों का कहना है कि नेता आये, वादे किए और फिर कभी लौटकर नहीं देखा. बनी संघर्ष समिति, दो बार थाने का चक्कर, फिर भी नतीजा शून्य न्याय दिलाने को लेकर स्थानीय दुर्गा मंदिर परिसर में क्षेत्रीय लोगों की बैठक हुई, जिसमें 21 सदस्यीय संघर्ष समिति का गठन किया गया. समिति ने दो बार सिमरी बख्तियारपुर थाना जाकर थानाध्यक्ष से मुलाकात की और सहरसा एसपी व डीआईजी से मिलने की भी बात कही. बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है.

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