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अष्टम सूची में स्थान के बाद भी मैथिली भाषा की दुर्दशा नहीं हुई खत्म: डॉ कुलानंद झा

अष्टम सूची में स्थान के बाद भी मैथिली भाषा की दुर्दशा नहीं हुई खत्म: डॉ कुलानंद झा

मैथिली भाषा के दशा व दिशा पर विद्यापति चेतना समिति ने की संगोष्ठी आयोजित सहरसा. मैथिली भाषा के वर्तमान दिशा व दशा पर विद्यापति चेतना समिति बनगांव द्वारा रविवार को रिफ्यूजी कॉलोनी स्थित नयन ज्योति केंद्र में संगोष्ठी आयोजित की गयी. इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मैथिली साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ कमलाकांत झा, प्राचार्य नारायण झा, मैथिली साहित्यकार डॉ कुलानंद झा, डॉ शिलेन्द्र कुमार, शांति मिशन स्कूल के निदेशक बीबी झा, भाई परमेश्वर, सुरेश्वर पोद्दार, रंजीत दास, अध्यक्ष राधाकांत ठाकुर, विद्यापति सेवा संस्थान के मीडिया प्रभारी प्रवीण झा ने संयुक्त रूप सें दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया. मैथिली अभियानी जय राम झा के संचालन में मंचासीन अतिथियों को पाग चादर देकर सम्मानित किया गया. वहीं कार्यक्रम का बीज वक्तव्य पीजी सेंटर के पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष मैथिली के सजग प्रहरी डॉ कुलानंद झा ने दिया. उन्होंने कहा कि देसिल वयना के रूप में महाकवि विद्यापति ने क्रांतिकारी आवाज उठायी. मैथिली के अष्टम सूची में स्थान प्राप्त करने के बावजूद मैथिली भाषा की दुर्दशा अभी भी खत्म नहीं हुई है. अष्टम सूची में दर्ज होने के बावजूद मैथिली को वह दर्जा नहीं मिल रहा है जो संविधान में शामिल अन्य भाषाओं को उचित स्थान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकारी काम काज भी मैथिली भाषा में नहीं हो रहा है. इसके लिए सरकार के साथ हम सभी मिथिलावासी भी इसके लिए दोषी हैं. मैथिली भाषा कैसे विकसित हो, कैसे आगे बढ़े, इसके लिए आपसी इर्ष्या द्वेष को छोड़कर मिथिला क्षेत्र में प्राथमिक स्कूल में मैथिली भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने की आवश्यकता है. इसके लिए हम सबको मिलजुलकर संघर्ष करना पड़ेगा. साथ ही लोगों को जागरूक करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मैथिली भाषा के समग्र विकास का अभाव देखा जा रहा है. मैथिली भाषा में साहित्य अकादमी द्वारा दिया जा रहा पुरस्कार बेईमानी से भरा है. उन्होंने कहा कि मैथिली भाषा को रोजगार युक्त भाषा बनाकर इसके प्रचार प्रसार की आवश्यकता है. वहीं प्राचार्य नारायण झा ने कहा कि बीपीएससी में मैथिली को मेधा अंक में जोड़ा जाना आवश्यक है. साथ ही मिथिला, मैथिली के विकास के लिए कोसी प्रमंडल के मुख्यालय में समर्पित संस्था बनाने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि सहरसा की उर्वरा भूमि ऊर्जा से भरपूर है. वहीं प्रवीण झा ने कहा कि मैथिली भाषा की दशा एवं दिशा साहित्य संस्कृति एवं संस्कार से युक्त मैथिली भाषा मणिरूप में प्रकाशित हो रहा है. मैथिली भाषा को अवरुद्ध करने के लिए अनेक प्रकार के षड़यंत्र सुनियोजित रूप से किया जा रहा है. मैथिली भाषा के लिए सबसे अधिक वही लोग कृतघ्न हैं, जो मैथिली का सबसे अधिक नमक खाते हैं. मैथिली साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ कमलाकांत झा ने कहा कि अपने बच्चों को मातृभाषा मैथिली से व्यावहारिक रूप से जोड़ें. मां सीता का दूसरा नाम मैथिली है. यह प्राचीन भाषा है एवं इसके विकास के लिए हम मिथिला वासियों को एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि मैथिली भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गांव-गांव जाकर प्रचार प्रसार की विशेष आवश्यकता है. उन्होंने मैथिली भाषा को राजनीति से जोड़ने के लिए राजनेताओं पर विशेष दबाव बनाने की बात कही. मौके पर राघव झा, मानिक चौधरी, सुरेश्वर पोद्दार, धनंजय कुमार सहित अन्य मौजूद थे.

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