अर्पित रंजन लिखित पुस्तक अर्पण का हुआ विमोचन सहरसा नगर निगम क्षेत्र के संतनगर वार्ड नंबर चार निवासी 17 वर्षीय अर्पित रंजन के अर्पण नामक लिखी पुस्तक का गुरुवार को अतिथियों ने विमोचन किया. यह पुस्तक अमेजॉन गूगल बुक पर उपलब्ध है. जिसमें उन्हें एक महीने में एक सौ से ज्यादा बुक फाईव स्टार रेटिंग के साथ प्रकाशित हुआ है. जेईसी पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक को इमर्जिंग राइटर ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. अतिथि प्रधानाचार्य मध्य विद्यालय राजीव रंजन ने कहा कि यह पुस्तक उन कृतियों में से है, जो पढ़ने के बाद भी लंबे समय तक मन एवं विचारों में बस जाती हैं. अर्पण केवल अर्पित की यात्रा नहीं, बल्कि समाज के बदलते स्वरूप को दर्शाने वाला दर्पण है. लेखक ने सहरसा की संस्कृति एवं लोगों की भावनाओं को इतनी संवेदनशीलता व गहराई से प्रस्तुत किया है कि पाठक खुद को इस शहर का हिस्सा महसूस करते हैं. कहानी में मित्रता, धर्म, समर्पण एवं सामाजिक जिम्मेदारी को इतनी सहजता से जोड़ा गया है कि कहीं भी प्रवचन जैसा नहीं लगता. बल्कि यह जीवन की एक सच्चाई बनकर सामने आता है. यह पुस्तक युवाओं को यह एहसास कराती है कि त्योहार सिर्फ आनंद लेने का समय नहीं, बल्कि समाज को कुछ लौटाने का अवसर है. वास्तव में यह कहानी हर उम्र के पाठकों को प्रेरित करती है कि वे अपने भीतर छिपी मानवीय शक्ति को पहचानें एवं अपने समुदाय के लिए अर्पण करें. राहुल यदुवंशी ने कहा कि लेखक ने चरित्रों एवं भावनाओं को इतनी सहजता से लिखा है कि आप खुद को सहरसा की फेस्टिवल को महसूस करेंगे. रोहित कुमार ने कहा कि अर्पण पढ़ते हुए ऐसा लगता है जैसे शब्दों को जीवंत कर दिया गया हो. शिक्षक रवि शंकर सिंह ने कहा कि इस पुस्तक की सबसे खूबसूरत विशेषता इसकी सादगी एवं सत्यता है. अर्पण की कहानी बताती है कि इंसान चाहे कितना भी साधारण क्यों ना हो. उसके भीतर समाज को बदलने की क्षमता छिपी होती है. शिक्षक राहुल कुमार ने कहा कि अर्पण एक ऐसी प्रेरक कथा है जो आत्मा को छू लेती है. इसमें ना सिर्फ एक युवा के सपनों एवं संघर्षों की कहानी है. बल्कि एक पूरे शहर की सांस्कृतिक धड़कन भी है. भवेश कुमार ने कहा कि अर्पित ने अपने शहर में बदलाव की जो छोटी-सी शुरुआत की, उसने यह प्रमाणित किया कि बड़े बदलाव हमेशा विनम्र कदमों से ही शुरू होते हैं. शिक्षक रूपेश कुमार सिंह ने कहा कि यह कहानी युवाओं की शक्ति का एक शानदार उदाहरण है. अर्पण पढ़ते हुए यह स्पष्ट महसूस होता है कि जब एक युवा अपनी सोच को सकारात्मक दिशा देता है तो शहर की धड़कनें भी बदल जाती है. सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य विजेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि अर्पण एक ऐसी कथा है जिसमें भावनाएं, संस्कृति, संघर्ष एवं सामाजिक समर्पण सब एक साथ मिलकर एक सुंदर साहित्यिक चित्र उकेरते हैं.
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