लापरवाही . यातायात िनयंत्रण के लिए लगे लोहे के पोल हैं अधूरे
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फायदा नहीं, बना जानलेवा
लापरवाही . यातायात िनयंत्रण के लिए लगे लोहे के पोल हैं अधूरे यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जिला मुख्यालय में लोहे के पोल से सड़क को दो भागों में बांट कर वन-वे करने का प्रशासनिक फैसला खतरनाक साबित हो रहा है. यदि इसका कोई ठोस उपाय नहीं किया गया, तो कब कौन-सी अनहोनी […]
यातायात व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जिला मुख्यालय में लोहे के पोल से सड़क को दो भागों में बांट कर वन-वे करने का प्रशासनिक फैसला खतरनाक साबित हो रहा है. यदि इसका कोई ठोस उपाय नहीं किया गया, तो कब कौन-सी अनहोनी हो जाये, कहना कठिन है.
सहरसा : सदर थाना में हुई बैठक के बाद प्रशासन व पब्लिक के संयुक्त निर्णय के तहत यातायात पुलिस द्वारा डिवाइडर से सड़क को दो भागों में बांटने की बात कही गयी थी. जिसके कुछ दिन के बाद डिवाइडर में रस्सी बांध सड़क को दो भाग में बांटा गया. लेकिन कुछ दिन बाद उससे हो रही परेशानी को देखते हुए उसे हटा दिया गया.
प्रशासनिक स्तर पर फिर से यातायात को सुढृढ़ करने के लिए थाना चौक से शहर की मुख्य सड़कों पर लोहे का पोल लगाने का कार्य शुरू किया गया. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण थाना चौक से महिला थाना के गेट तक पोल गाड़ छोड़ दिया गया. जबकि पोल लगाने के लिए आगे तक गड्ढा खोद कर छोड़ दिया गया है. जो अब खतरनाक साबित हो रहा है. वाहन चालक के गड्ढे में वाहन के साथ फंस जाने के बाद दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. जिसके कारण सुबह से शाम तक सड़कों पर वाहनों एवं लोगों की भीड़ लगी रहती है. अभी कुछ चौक-चौराहों पर डीएपी व होमगार्ड जवानों से यातायात नियंत्रित किया जाता है, जो नाकाफी साबित हो रहे हैं.
अवैध परिचालन पर लगे रोक : वर्ष 2011 के दिसंबर माह में ट्रक की चपेट में आने के बाद एक छात्र की मौत व उग्र प्रदर्शन के बाद यातायात व्यवस्था को सुढृढ़ करने के लिए सुबह आठ बजे से नौ बजे रात्रि तक व्यवसायिक व बड़े वाहनों के परिचालन पर रोक लगायी गयी थी. लेकिन यातायात पुलिस की कृपा से नो इंट्री मजाक बन कर रह गया है. सुबह से लेकर रात तक व्यावसायिक वाहन व अन्य प्रतिबंधित वाहन सड़कों पर फर्राटा भरते रहता है. जो शायद यातायात पुलिस व वरीय अधिकारियों को नजर नहीं आता है.
सूत्रों के अनुसार नो इंट्री में अवैध वाहनों के परिचालन से सभी अवगत हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होना अलग बात है. वरीय अधिकारी यदि औचक निरीक्षण करे तो कई व्यवसायिक वाहन कार्रवाई की जद में आ जायेंगे. इन जगहों पर यदि अवैध वाहन पर रोक लग जाय तो दिन भर लोगों को जाम से मुक्ति मिल जायेगी.
थाना चौक से शुरू हुआ डिवाइडर, पर सड़क के दोनों ओर लगती है दुकानें.
यातायात थाने के िलए भेजा गया है प्रस्ताव
जानकारी के अनुसार यातायात व्यवस्था को सुढृढ़ रखने के लिए थाना सृजन का सुझाव मांग एसपी को प्रस्ताव भेज यातायात सुचारू रखने के लिए इसे आवश्यक माना था. शहर की आबादी डेढ़ लाख है. प्रमंडलीय मुख्यालय होने के कारण सहरसा, सुपौल व मधेपुरा के लोगों का आना-जाना लगा रहता है. वहीं बड़ी रेल लाइन के कारण कई ट्रेनों के सहरसा तक ही होने, सड़क की चौड़ाई कम होने, शहर के मध्य रेलवे लाइन होने के कारण शहर दो भागों में बंटा रहने व पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से हमेशा जिला मुख्यालय में यातायात का दबाव बना रहता है. जिसके कारण यातायात थाना आवश्यक है.
यातायात व्यवस्था सुचारू रखने के लिए वर्तमान में शहर के तिवारी चौक, प्रशांत सिनेमा मोड़, गंगजला चौक, बंगाली बाजार, शंकर चौक, थाना चौक, दहलान चौक में ट्रैफिक पुलिस की तैनाती है. इसके अलावे कोसी चौक, तिरंगा चौक, पंचवटी चौक, कचहरी ढ़ाला, वीर कुंवर सिंह चौक, समाहरणालय, कहरा कुटी, महावीर चौक, चांदनी चौक, रिफ्यूजी चौक सहित अन्य जगहों पर पुलिस जवानों की तैनाती आवश्यक है. यातायात थाना में पुलिस पदाधिकारी सहित जवानों की तैनाती होगी.
मिली जानकारी के अनुसार थाना में एक पुलिस निरीक्षक, एक अवर निरीक्षक, दस हवलदार, 40 सिपाही व आठ चालक सिपाही को पदस्थापित किया जाना था. लेकिन छह माह से अधिक प्रस्ताव भेजे जाने के बावजूद थाना स्थापना को लेकर कोई सुगबुगाहट शुरू नहीं हुई है. इससे जहां स्थानीय थाना पर भी भार कम होगा. वहीं यातायात व्यवस्था भी सुढृढ़ होगी. यातायात व्यवस्था को सुढृढ़ करने के लिए शहर के कई चौक-चौराहों पर ट्रैफिक पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है.
हल्की-सी ठोकर से ही हट जाता है डिवाइडर
जाम व यातायात नियंत्रण के लिए सड़कों पर लगाये गये डिवाइडर व कुछ दूर तक लोहे का पोल, सुविधा देने के बदले असुविधा दे रहा है. वाहन की हल्की सी ठोकर से डिवाइडर अपने जगह से हट जाता है. जिसे देखने की फुर्सत किसी को नही है. जवान की कमी के कारण चेक पोस्ट पर ही जवान तैनात रहते है. जिसे पोस्ट के अलावे इधर- उधर जाने की फुर्सत नही है. जो रास्ते में गिरे डिवाइडर को उठा सके. वहीं सड़क पर गड्ढे में फंस कर कई बाइक सवार जख्मी हो चुके हैं.
इसका मुख्य कारण यह है कि प्रशासन ने आनन-फानन में कुछ दूरी पर पोल तो लगवा दिया, लेकिन सड़क के दोनों ओर की सड़क को दुकानदारों के अतिक्रमण से खाली नही करवाया गया. जबकि सदर थाना में सदर एसडीओ, एसडीपीओ व सदर थानाध्यक्ष के मौजूदगी में नागरिकों की हुई बैठक में शहर की सभी सड़कों के दोनों ओर के दुकानदारों से अतिक्रमण मुक्त करने के लिए नोटिस देने व नहीं हटाने पर सामान जब्त कर कार्रवाई करने की बात कही गयी थी.
लेकिन रात बीती, बात बीती वाली कहावत चरितार्थ हुई. बैठक के बाद बैठक में शामिल अधिकारी, जनप्रतिनिधि, आम नागरिक व अधिकारी ने भी कागज पर ही सब बातों पर सहमति देकर अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर ली. यदि सभी मिलकर अतिक्रमण पर मुहिम चलाये तो कुछ दिन में ही सिकुड़ी सड़क लोगों के सामने चौड़ी नजर आयेगी.
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