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भूस्वामियों ने पदाधिकारियों को खदेड़ा

भूस्वामियों ने पदाधिकारियों को खदेड़ाग्रीनफील्ड भूमि अधिग्रहण मामलाजिला भू अर्जन पदाधिकारी, अंचल कर्मी, अमीन व वन विभाग के कर्मी मापी के लिए पहुंचे थेमांगों को लिखित रूप से पूरा करने की स्पष्टीकरण पर अड़े किसान प्रतिनिधि, मधेपुरामधेपुरा में ग्रीनफील्ड विद्युत लोकोमोटिव फैक्टरी भूमि अधिग्रहण के मामले में भूस्वामियों ने कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है. […]

भूस्वामियों ने पदाधिकारियों को खदेड़ाग्रीनफील्ड भूमि अधिग्रहण मामलाजिला भू अर्जन पदाधिकारी, अंचल कर्मी, अमीन व वन विभाग के कर्मी मापी के लिए पहुंचे थेमांगों को लिखित रूप से पूरा करने की स्पष्टीकरण पर अड़े किसान प्रतिनिधि, मधेपुरामधेपुरा में ग्रीनफील्ड विद्युत लोकोमोटिव फैक्टरी भूमि अधिग्रहण के मामले में भूस्वामियों ने कड़ा रूख अख्तियार कर लिया है. मंगलवार को भूमि व वृक्ष की मापी करने श्रीपुर चकला गांव पहुंची प्रशासनिक टीम को भूस्वामियों ने यह कह कर खदेड़ दिया कि पहले प्रशासन लिखित रूप में यह स्पष्ट करे कि उनकी मांगें किस तरह पूरी की गयी हैं. सैकड़ों ग्रामीण ने मौके पर पहुंच रोका मापी कार्यमंगलवार सुबह भू-अर्जन पदाधिकारी, जिला अमीन, कर्मचारी व वन विभाग के कर्मी के साथ फैक्टरी के लिए अधिकृत जमीन की मापी करने पहुंचे. वन विभाग के कर्मियों ने करीब दो सौ वृक्ष की मापी की, लेकिन कुछ देर बाद सैकड़ों की संख्या में लाठी-डंडों से लैस ग्रामीण वहां पहुंच कर मापी कार्य करने से रोक दिया. इस दौरान जब बातचीत से बात नहीं बनी, तो ग्रामीणों ने मापी करने गयी टीम को वहां से खदेड़ दिया. इस घटना के बाद ग्रीनफील्ड विद्युत लोकोमोटिव फैक्टरी भूमि अधिग्रहण के मामले में तत्काल विराम लग गया है. सोमवार को अधिग्रहण की दिशा में यह कहा गया था कि अब रास्ता साफ हो गया है. लेकिन भूस्वामी को अब तक लिखित रूप में यह नहीं दिया गया है कि उनकी कौन सी मांग स्वीकार की गयी है और कौन सी अस्वीकृत. भूस्वामी प्रकाश कुमार पिंटू, अधिवक्ता निर्मल कुमार सिंह, अभय कुमार सिंह, राम लखन यादव, बुद्ध देव यादव, रूद्धनारायण यादव व अन्य ने बताया कि वे लोग भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2014 के अनुसार बाजार दर से चौगुनी कीमत मांग कर रहे हैं. लेकिन, विभाग ने अब तक इस दर पर अपनी सहमति नहीं दी है. किसानों का कहना है कि उन्हें मुआवजे के अतिरिक्त अधिग्रहित जमीन के भू-स्वामी के परिवार में से एक को फैक्टरी में नौकरी दी जाये. पुनर्वास की व्यवस्था भी हो. इसके अलावा वर्ष 2008 में अधिग्रहण के चिह्नित 1116 एकड़ जमीन में से रेलवे द्वारा केवल 307 एकड़ जमीन ही लेने की बात कही जा रही है. भूस्वामियों ने कहा कि 1116 एकड़ जमीन में से 307 एकड़ जमीन लेने के बाद शेष रह गयी 809 एकड़ जमीन अधिसूचना जारी कर किसानों को वापस की जाये. जमीन अधिग्रहण से पहले रेल विभाग को इस संबंध में लिखित रूप में देना होगा. किसानों की सबसे अहम मांग है कि अधिग्रहित जमीन के स्वामियों की फैक्टरी में 25 फीसदी हिस्सेदारी भी सुनिश्चित हो. इसके अलावा किसानों की कई अन्य छोटी मांगें भी हैं. किसानों का कहना है कि जब तक इन मांगों को लिखित रूप से पूरा नहीं किया जाता तब तक वे जमीन अधिग्रहण का विरोध जारी रखेंगे. जमीन अधिग्रहण की जद में आने वाले किसान ‘ किसान संघर्ष मोरचा’ के बैनर तले अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

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