स्वास्थ्य के लिए जागरूक है सहरसा गत पांच वर्षों में बड़ा परिवर्तन विशिष्ट सुविधाएं बहाल, अभी और है दरकार अस्पताल को अत्याधुनिक बनाने की हो रही मांग विष्णु स्वरूप, सहरसाआपको याद होगा कि सहरसा सदर अस्पताल पर लापरवाही, असुविधा, संसाधनों की कमी, साफ-सफाई के आरोप अक्सर लगाये जाते रहे हैं, लेकिन गत कुछ वर्षों से इसमें कमी आयी है, लेकिन सुविधाओं और प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार अब भी सदर अस्पताल को माना जा रहा है. सामान्य तौर पर इसमें सुधार के आश्वासन भी समय-समय पर मिलते रहे हैं, लेकिन कोई बड़ा परिवर्तन अभी नहीं आया, न ही गंभीरता से कार्य हुए. पब्लिक फ्रंट से एम्स बनाने की बात, रिसर्च इंस्टीच्यूट में तब्दील करने की बात उठी और शांत हो गयी. पीएचसी में थोड़ी सुविधा बढ़ी, शहर के अंदर एनजीओ के माध्यम से डिस्पेंसरी खुली. निजी सेक्टरों में बड़ा बदलाव आया, सरकारी अस्पताल में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार भी हुए, आइसीयू आदि बने. लेकिन वे भी मानव संसाधन के कारण उपेक्षित हो गये. प्राइवेट नर्सिंग होम में यह सुविधा बेहतर तरीके से उपलब्ध करवायी गयी. बच्चों के लिए डॉ विजेंद्र देव, बड़ों के लिए आइडी सिंह, ब्रजेश सिंह, सूर्या हाॅस्पीटल सहित अन्य कई संस्थानों द्वारा यह सुविधाएं दी जाने लगी है. डॉ गोपाल शरण सिंह, डॉ अवनिश कर्ण, डॉ विजय शंकर कहते हैं कि गत पांच वर्षों में शहर में मेडिकल सेवा का बड़ा विस्तार देखने को मिल रहा है. –कई सुविधाओं का हुआ विस्तारडायग्नोसिस टूल्स में बढ़ोत्तरी हुई, सीटी स्कैन, एमआरआइ जैसी व्यवस्था शुरू हुई, लेवल ऑफ अल्ट्रा थिकल मोनेटिंग की सुविधा जो पहले नहीं थी, अब शुरू हो चुकी है. शहर में रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक भी उपलब्ध हुए हैं. डॉ यूसी मिश्रा, डॉ रंजेश कुमार सिंह, डॉ ब्रजेश सिंह कहते हैं कि स्वास्थ्य महकमे में सबसे ज्यादा बदलाव आये, सुविधाएं भी बढ़ी, नये जांच के उपकरणों से रोग पहचानने में और उसके निदान में विश्वसनीयता बढ़ी है, लेकिन न्यूरो सर्जरी, कार्डिक सर्जरी सहित कैंसर की जांच जैसी आवश्यकता पर ध्यान दिया जाना जरूरी है. –एंबुलेंस की संख्या बढ़ीसहरसा में चिकित्सा विज्ञान में आये बदलाव, नये टेक्निक व नये रिसर्च वर्क पर सेमिनार व आयोजन होते रहे हैं, जिससे शहरवासियों समेत चिकित्सक भी लाभ उठाते हैं. आइएमए सहरसा के अध्यक्ष डॉ विजेंद्र सिंह व सचिव डॉ गणेश कुमार कहते हैं कि मेडिकल सेवा सतत नये रिसर्च, नये मेडिसीन से रूबरू होते रहता है. कोसी के इस पिछड़े इलाके में कैसे मरीजों को सुविधाएं उपलब्ध करायी जाये. इसकी जरूरतों पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है. डॉ अजय सिंह व डॉ वृजेंद्र देव कहते हैं कि गत वर्षों में सहरसा में नर्सिंग होम कल्चर के विस्तार से मरीजों को सुविधाएं बढ़ी है. गहन जांच व गंभीर केसों में मरीजों को सभी सुविधाएं उपलब्ध न हो पाने से उन्हें बाहर के अस्पतालों में रेफर किया जाता है, लेकिन शीघ्र ही सुपर स्पेसलिटी सुविधाओं के विस्तार से कार्डिक फेल्योर, किडनी डिसआर्डर जैसी समस्याओं पर भी इलाज की सुविधाएं उपलब्ध हो सकेगी. कैंसर, न्यूरो व अन्य संबंधित विभागों के चिकित्सक भी उपलब्ध होंगे. शहर की एंबुलेंस सेवा भी लचर कुव्यवस्था की शिकार है. आये दिन उसकी भी शिकायतें सामने आ रही है, जबकि एंबुलेंसों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. मेडिकल कॉलेज की स्थापना हुई, लेकिन एमसीआइ द्वारा उसे अब तक पूर्ण मान्यता नहीं मिल पाया है. सरकारी महकमे द्वारा ईडोक्रायोनिकल, आर्थोपेडिक, आई केयर, डायलेसिस सेंटरों को अलग से स्थापित करने की मांग भी उठी है. इससे उम्मीद की जा रही है कि इससे स्वास्थ्य महकमे को मजबूती मिलेगी, लेकिन गौरतलब बात यह है कि इच्छा शक्ति के अभाव में स्वास्थ्य विभाग में कोई बदलाव शीघ्रता से नहीं हो रहा है अन्यथा डब्ल्यूएचओ नयी दिल्ली के सौजन्य से एक ओडेल्का कैमरा जो डिजिटल एक्स-रे मशीन की तरह काम करता है वर्ष 1992 से सहरसा सदर अस्पताल में लकड़ी के तीन बड़े बक्से में बंद पड़ा है. शहरवासियों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है तो प्रशासनिक पदाधिकारियों और स्वास्थ्य महकमे से जुड़े लोगों को भी आगे बढ़ना होगा. ——विदेशों से आ रहे हैं चिकित्सक सहरसा. शहर में वेसिकॉन-2015 के तहत देश-विदेश से ख्याति प्राप्त चिकित्सक सहरसा में इकट्ठा हो रहे हैं. जिसमें डॉ मदन झा इंग्लैंड, डॉ पोलक सहाय, यूएसए डॉ शोभराज जॉन दिल्ली से कार्यक्रम में भाग लेने सहरसा आ रहे हैं. वेसिकॉन-2015 के संयोजक डॉ अवनीश कर्ण ने बताया कि 20 नवंबर को वर्कशॉप का उद्घाटन एम्स पटना के निदेशक डॉ जीके सिंह तथा कार्यक्रम का उद्घाटन पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 21 नवंबर को करेंगे. 20, 21 व 22 नवंबर को होने वाले वेसिकॉन-2015 का मुख्य समारोह कला भवन सहरसा में आयोजित किये जायेंगे. अन्य कार्यक्रम डॉ अवनिश कर्ण के श्रीकृष्ण शल्य चिकित्सालय व डॉ गोपाल शरण सिंह के नर्सिंग होम में आयोजित किये जायेंगे. कार्यक्रम में दो हजार से ज्यादा चिकित्सकों की उपस्थिति की आशा की जा रही है. एमसीआइ से एप्रूभ इस कार्यक्रम में उपस्थिति से एकेडमी अंक प्राप्त होंगे, फलस्वरूप पीजी स्तरों के मेडिकल छात्र भी इसमें गंभीर रुचि दिखा रहे हैं.
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स्वास्थ्य के लिए जागरूक है सहरसा
स्वास्थ्य के लिए जागरूक है सहरसा गत पांच वर्षों में बड़ा परिवर्तन विशिष्ट सुविधाएं बहाल, अभी और है दरकार अस्पताल को अत्याधुनिक बनाने की हो रही मांग विष्णु स्वरूप, सहरसाआपको याद होगा कि सहरसा सदर अस्पताल पर लापरवाही, असुविधा, संसाधनों की कमी, साफ-सफाई के आरोप अक्सर लगाये जाते रहे हैं, लेकिन गत कुछ वर्षों से […]
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