दशहरा का उत्साह चरम पर, मेले में उमड़ी भीड़
सहरसा: अष्टमी प्रवेश के साथ ही शुक्रवार की देर रात देवी का पट खुल गया. महागौरी की पूजा के लिए सुबह से ही पूजा पंडालों की ओर भीड़ लगनी शुरू हो गयी. हजारों की संख्या में महिलाएं अपने घर के करीबी दुर्गा स्थान जाकर माता को खोइछा चढ़ाया. भगवती को चढ़ाये जाने वाले खोइछा में उपयोग होने वाली सामग्रियों की बिक्री भी होती रही. सालुक के टुकड़े, दूब, हल्दी, अरवा चावल, प्रसाद, द्रव्य की पोटली बनाने में महिलाएं व्यस्त रही. भगवती को खोइछा चढ़ाने का सिलसिला अष्टमी को दिन भर के अलावा नवमी यानी रविवार को भी होगा. इधर सभी पूजा स्थलों पर श्रद्धा सहित दुर्गा सप्तशती का पाठ होता रहा. नये वस्त्रों की खरीदारी करने निकले लोगों से बाजार में चहल-पहल बनी रही.
मेले में रौनक आज से
शहरी क्षेत्र के सब्जी बाजार स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर, थाना रोड स्थित सार्वजनिक दुर्गा पूजा स्थान, पंचवटी, प्रशांत रोड, कॉलेज गेट, रेलवे कॉलोनी, लोको शेड, कचहरी चौक, जेल गेट, मारूफगंज स्थित स्थायी दुर्गा मंदिरों में भव्य मेला लगा है. अस्थायी रूप से दुकानें सज चुकी है. पूजा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं सहित बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. मेले में जिलेबी व खिलौने की दुकान की ओर सबसे अधिक भीड़ जुट रही है. प्रशासनिक व्यवस्था अभी चुस्त ही दिखाई दे रही है.
स्टेशन अधीक्षक ने शुरू की थी पूजा अर्चना
सिमरी बख्तियारपुर के अनुसार, नवरात्र शुरू होते ही रेलवे दुर्गा स्थान में मां देवी की पूजा अर्चना करने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. मान्यता है कि जिस भक्त ने सच्चे मन से जो भी मुराद मांगी उनकी मुराद पूरी हुई है.
कहा जाता है कि सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन में स्टेशन अधीक्षक के पद पर कार्यरत एनएन सिंह को सपने में मां आकर मंदिर निर्माण करने का सपना दिया. सुबह उठते ही अपनी पत्नी के साथ मां के बताये स्थान पर झोपड़ी बना कर पूजा अर्चना शुरू कर दिया. ग्रामीणों के सहयोग से 1980 ई में मंदिर का जीर्णोद्धार कर औलौकिक बनाया गया. नारायण चंद्र देव, नीरज चंद्र ने बताया कि मन्नत पूरी होने पर राजो मामू द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई. वही दूसरी ओर पुरानी बाजार स्थित मां दुर्गा मंदिर आपरूपी है. मान्यता है कि सौ वर्ष से भी अधिक पुराना है दशहरा के समय तत्कालीन अंग्रेज अफसर व नवाब की मां के दर्शन करने आते थे. दुर्गा प्रसाद जायसवाल ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है. वही मुख्य बाजार स्थित बड़ी दुर्गा स्थान भी करीब 80 वर्ष पुराना है. वही उसी ओर सरडीहा गांव स्थित मां दुर्गा स्थान का निर्माण 1940 ई में सरडीहा नरेश भूखन शाही द्वारा कराया गया.