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कोच गाइडेंस सिस्टम व योजनाओं पर ग्रहण

सहरसा : भले ही सहरसा जंक्शन को मॉडल श्रेणी दर्जे के स्टेशन की पहचान मिल चुकी हो, लेकिन इन श्रेणियों के मिलने वाली सुविधाओं से यात्री कोसों दूर हैं. राशि के अभाव में अब तक यात्री सुविधाओं की कई योजनाओं पर ग्रहण लगा है. वैसे तो सहरसा जंक्शन पर यात्री सुविधाओं से जुड़ी कई योजनाओं […]

सहरसा : भले ही सहरसा जंक्शन को मॉडल श्रेणी दर्जे के स्टेशन की पहचान मिल चुकी हो, लेकिन इन श्रेणियों के मिलने वाली सुविधाओं से यात्री कोसों दूर हैं. राशि के अभाव में अब तक यात्री सुविधाओं की कई योजनाओं पर ग्रहण लगा है.

वैसे तो सहरसा जंक्शन पर यात्री सुविधाओं से जुड़ी कई योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है. लेकिन कई योजनाए फंड के अभाव में शुरू भी नहीं की गयी है. जबकि एजेंसी पहले ही तय कर दी गयी थी. सहरसा जंक्शन पर दस माह पहले ही कोच गाइडेंस सिस्टम व ट्रेन डिस्पले बोर्ड लगाने का प्रपोजल तैयार कर समस्तीपुर डिवीजन को भेजा गया था.
तत्कालीन स्टेशन डायरेक्टर व डीएसटी ने यात्री सुविधाओं के लिए प्लेटफार्म नंबर एक, दो व तीन पर कोच गाइडेंस सिस्टम लगाने का प्रपोजल भेजा था. बताया गया था कि अक्तूबर माह में इसे लगना था. सहरसा जंक्शन के अलावा सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन पर भी कोच गाइडेंस सिस्टम लगाने की योजना तैयार करने का प्रपोजल था. लेकिन रेल सूत्रों की मानें तो राशि के अभाव में अब तक कोच गाइडेंस सिस्टम नहीं लगाया गया.
जबकि पिछली बार समस्तीपुर डिवीजन के डीआरएम ने निरीक्षण के दौरान सहरसा जंक्शन पर कोच गाइडेंस सिस्टम जल्द ही लगाने की योजना पर आश्वासन दिया था. बता दें कि प्लेटफार्म नंबर पर पर एक पूर्व में कोच गाइडेंस सिस्टम लगाया गया था. लेकिन कुछ तो असामाजिक तत्त्वों द्वारा चोरी हो गये जो बचे वह मेंटनेंस के अभाव में खराब हो गये. यहां बता दें कि सहरसा जंक्शन से रोजाना 20 से 25 हजार रोजाना यात्रियों की आवाजाही होती है.
क्या थी योजना: सहरसा जंक्शन को मॉडल श्रेणी का दर्जा प्राप्त होने के बाद यात्री सुविधा बढ़ाने को ले कई योजना पर कार्य चल रहा है. वहीं कई योजनाएं प्रपोजल तैयार होने के बाद भी राशि के अभाव में अटकी है. वर्तमान में करीब 13 करोड़ की लागत से सर्कुलेटिंग एरिया, नये फुटओवर ब्रिज, पार्किंग स्थल सहित कई योजना पर कार्य चल रहा है, लेकिन राशि के अभाव में यह कार्य योजना भी अधूरी अटकी है. कांट्रेक्टर की मानें तो रेल विभाग द्वारा पेमेंट नहीं मिलने से विकास कार्य सुस्त गति से चल रहा है. जबकि छह माह पूर्व ही इसे पूरा कर लेना था.
इसके अलावा सहरसा जंक्शन पर पांच प्लेटफार्म हैं. इनमें प्लेटफार्म नंबर एक, दो व तीन पर कोच गाइडेंस सिस्टम लगाने की योजना थी. वहीं यात्रियों को ट्रेनों के आगमन व प्रस्थान की जानकारी मिल सके, इसके लिए प्रत्येक प्लेटफार्म पर ट्रेन डिस्पले बोर्ड लगाये जाने की योजना थी.
यात्रियों को रोजाना हो रही परेशानी: सहरसा जंक्शन से दिल्ली, मुबंई व सियालदह व अमृतसर के लिए ट्रेनों का परिचालन होता है. आरक्षण श्रेणी के कई ट्रेनें वैशाली, गरीब रथ, पुरबिया, जनहित व हाटे बाजार एक्सप्रेस का परिचालन होता है. लेकिन कोच गाइडेंस सिस्टम नहीं लगने से यात्रियों को ट्रेन पकड़ने में काफी परेशानी होती है. वैशाली, पुरबिया व जनहित एक्सप्रेस सहित ट्रेन जब प्लेटफार्म पर लगायी जाती है तो ऐसे में कौन सी कोच किस जगह पर लगायी गयी है, यात्रियों को मालूम नहीं होता है.
कई बार यात्री जल्दबाजी में दूसरे आरक्षण कोच में चले जाते हैं. ट्रेन खुलने के बाद एक कोच से दूसरे कोच में जाने में काफी परेशानी होती है. खासकर महिला व बुजुर्ग आरक्षण श्रेणी के यात्रियों को काफी परेशानी होती है. यात्रियों का कहना है कि अगर कोच गाइडेंस सिस्टम लगता है तो उनका आरक्षण कोच किन जगहों पर लगा है, आसानी से मालूम होता है.
एसी फर्स्ट व सेकेंड श्रेणी के यात्रियों को आती है दिक्कतें, एनांउसमेंट भी नहीं होता: सहरसा जंक्शन पर जब वैशाली व पुरबिया एक्सप्रेस लगायी जाती है तो कौन सी कोच कहां लगती है, यात्रियों को मालूम नहीं होता. खासकर एसी फर्स्ट व सेकेंड श्रीणियों के यात्रियों को काफी दिक्कतें आती हैं.
वहीं यात्रियों का कहना है कि एसी व स्लीपर कोच कहां लगायी जा रही है, इसका एनाउंसमेंट भी नहीं होता है. कई बार पूछताछ में शिकायत करने पर कोच के बारे में आउटडोर से पूछकर एनाउंसमेंट होती है. सबसे अधिक दिक्कतें यात्रियों को सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन पर होती है. पुरबिया, गरीब रथ व हाटे बाजार, जनहित एक्सप्रेस का ठहराव मात्र दो मिनट है. यात्रियों को आरक्षित श्रेणियों के कोच आसानी से नहीं मिलते हैं.
सहरसा-मानसी रेलखंड पर पैकिंग कार्य के कारण कई ट्रेनें विलंब
सहरसा. सहरसा-मानसी रेलखंड पर बुधवार को धमारा घाट व बदला घाट स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक की मजबूती के लिए पैकिंग कार्य किया गया. इस कारण कई ट्रेनों के परिचालन में देरी हुई. दरअसल रेलवे ट्रैक पर पैकिंग मशीन से पैकिंग कार्य किया जा रहा था. इसके कारण कई ट्रेनें जहां-तहां खड़ी रही. ऐसे में समस्तीपुर-सहरसा 63350 मेमू ट्रेन करीब एक घंटे विलंब हुई. वहीं डाउन में इंटरसिटी कुछ देर के लिए विलंब हुई. सहरसा-समस्तीपुर सहित कुछ अन्य ट्रेन भी 20-25 मिनट के लिए विलंब हुई.

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