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नॉर्मल व सिजेरियन डिलिवरी के खेल में डॉक्टर हो रहे मालामाल

सिजेरियन का भय दिखा ऑपरेशन चार्ज के नाम पर वसूल रहे हजारों सहरसा/सिमरी : स्वास्थ्य नगरी सहरसा में नॉर्मल और सिजेरियन का खेल जारी है. यह सच है कि प्रसव के नाम पर यहां लूट-खसोट का धंधा बदस्तूर जारी है. यहां डेरा जमाये स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चंद मिनटों में ही सामान्य प्रसव को […]

सिजेरियन का भय दिखा ऑपरेशन चार्ज के नाम पर वसूल रहे हजारों

सहरसा/सिमरी : स्वास्थ्य नगरी सहरसा में नॉर्मल और सिजेरियन का खेल जारी है. यह सच है कि प्रसव के नाम पर यहां लूट-खसोट का धंधा बदस्तूर जारी है. यहां डेरा जमाये स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ चंद मिनटों में ही सामान्य प्रसव को अपनी अनोखी कारगुजारियों से सिजेरियन में तब्दील कर देते हैं और प्रसूता और परिजनों को हाथ की इस सफाई का पता भी नहीं चल पाता है.
सरकारी हॉस्पिटल से भी है सेटिंग: बीते कई वर्षों से सहरसा में नॉर्मल और सिजेरियन का खेल जारी है. डॉक्टरों के इस अनोखे खेल के पीछे अधिक से अधिक धन उपार्जन की मंशा होती है. डॉक्टरों की इस कारगुजारी को उच्च व मध्यम वर्गीय परिवार के लोग तो झेल लेते हैं, लेकिन निम्नवर्गीय लोगों के लिए यह किसी आघात से कम नहीं होता है. विडंबना यह है कि सिजेरियन प्रसव से पहले परिजनों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है और भयवश परिजन सिजेरियन के लिए हामी भर देते हैं.
एक तीर से कई शिकार : सिजेरियन के खेल सचमुच बड़े ही निराले ढंग का है. दरअसल सिजेरियन के माध्यम से एक तीर से कई शिकार चिकित्सक करते हैं. लाखों-करोड़ों की लागत से नर्सिंग होम तैयार होता है. ऐसे में अगर नॉर्मल डिलिवरी हो तो नर्सिंग होम का मासिक खर्च भी निकल पाना मुश्किल होता है. कमाई की कल्पना भी बेकार होगी. अगर डिलिवरी सिजेरियन हो तो कम से कम प्रसूता को 10 से 12 दिनों तक नर्सिंग होम में ठहरना मजबूरी होती है. इसके अलावा डॉक्टर और नर्सिंग फी अलग से जोड़े जाते हैं. इसके अलावा सिजेरियन की दवा के नाम पर भी एक बड़ा घोटाला होता है. जानकार बतलाते हैं कि अमूमन एक प्रसूता के लिए जो दवा की लिस्ट परिजनों को थमायी जाती है, उसमें कम से कम दो सिजेरियन आराम से हो सकता है.
स्पष्ट है कि दवा मद में भी प्रसूता और परिजनों के साथ धोखाधड़ी की जाती है. इस बात से कई लोग वाकिफ भी होते हैं, लेकिन मजबूरीवश उनकी जुबान बंद रहती है. सूत्र बताते हैं कि निजी डॉक्टरों ने जिले भर के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर और नर्स से भी सेटिंग कर ली है. इसकी वजह से अब डिलिवरी करवाने सरकारी अस्पताल पहुंचने वाली प्रसूता को डर का खेल दिखा प्राइवेट नर्सिंग होम भिजवा दिया जाता है.
होना था सिजेरियन, चापाकल पर ही हो गयी डिलिवरी
सहरसा स्थित एक निजी क्लिनिक में सलखुआ प्रखंड से एक गर्भवती को प्रसव कराने लाया गया. जहां डॉक्टर ने जांच के बाद सीजर से प्रसव होने की बात बतायी. ऑपरेशन शुल्क 18 हजार की मांग की गयी. परिजनों से शुल्क जमा करा भी दिया. शाम के सात बजे ऑपरेशन का समय निर्धारित हुआ. उसी दिन शाम के लगभग पांच बजे प्रसूता नर्स के साथ ट्यूबवेल पर गयी. जहां ट्यूबवेल चलाने के क्रम में ही उसे दर्द शुरू हुआ और वहीं उसे प्रसव भी हो गया. प्रसव होने की जानकारी मिलते ही डॉक्टर नर्सिंग होम पहुंची और नर्स को जम कर खरी-खोटी सुनायी. हालांकि नॉर्मल डिलिवरी के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से पैसा वापस मांगा. लेकिन देर शाम तक अस्पताल की आनाकानी बनी हुई थी.

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