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जिले की सभी पंचायतों में लगेंगे पांच-पांच चापाकल

सासाराम शहर : मुख्यमंत्री चापाकल योजना के तहत लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग माह के अंतिम सप्ताह से पंचायतों के चिन्हित स्थलों पर चापाकल लगाने का काम शुरू करेगा. पंचायती राज के स्तर पर ग्रामीण विकास के तहत 14वीं वित्त योजना से चापाकल लगाने का काम कराया जाएगा. स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए फ्लोराइड साइट्स […]

सासाराम शहर : मुख्यमंत्री चापाकल योजना के तहत लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग माह के अंतिम सप्ताह से पंचायतों के चिन्हित स्थलों पर चापाकल लगाने का काम शुरू करेगा. पंचायती राज के स्तर पर ग्रामीण विकास के तहत 14वीं वित्त योजना से चापाकल लगाने का काम कराया जाएगा. स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए फ्लोराइड साइट्स पर भी काम शीघ्र शुरू हो जाएगा.

पीएचइडी विभाग के अधिकारियों की मानें तो विभाग ने पेयजल आपूर्ति के लिए कार्य शुरू कर दिया है, ताकि गर्मी में परेशानी से लोगों को बचाया जा सके. नये चापाकल के लगाने के साथ ही पुराने व खराब चापाकलों को भी दुरुस्त कराया जा रहा है.
शहर के होल्डिंग धारकों के लिए नल से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जलक्रांति अभियान के तहत जल पर्षद ने नप क्षेत्र के 16 स्थानों पर वाटर टैंक व जलमीनार निर्माण का फैसला लिया है. स्थलों को चिह्नित भी कर ली गयी है.
इस संबंध में पीएचइडी के सहायक अभियंता जमीरूद्दीन अंसारी ने बताया कि मुख्यमंत्री चापाकल योजना के तहत पंचायतों में चापाकल लगाया जायेगा. गर्मी के पहले पेयजलापूर्ति योजना को लागू कर दिया जायेगा, ताकि समय से पेयजल संकट से उबरने में मदद मिल सके.
नाजिया व नजमा के भाग्य का फैसला आज
पटना हाइकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं शहर के लोगों की निगाहें
करोड़ों के घोटाले में नाजिया से छिन गयी थी मुख्य पार्षद की कुरसी
सासाराम कार्यालय
करोड़ों रुपये घोटाले में आरोपित नगर पर्षद की बर्खास्त पूर्व मुख्य पार्षद नाजिया बेगम के मामले में पटना हाइकोर्ट में 13 दिसंबर को सुनवाई होनी है. अगर नाजिया के पक्ष में फैसला आता है, तो वर्तमान मुख्य पार्षद नजमा बेगम की कुर्सी पर आंच आनी तय है. अगर नाजिया के विपक्ष में फैसला आता है, तो नजमा की कुर्सी सुरक्षित रहेगी. इसको लेकर शहर में चर्चाओं का बाजार गरम है. वार्ड पार्षदों का एक गुट यह मानने लगा है कि कोर्ट में संभवत: नाजिया बेगम की ओर से अपने हस्ताक्षर फर्जी होने का मामला उठाया गया है. अगर हस्ताक्षर फर्जी थे, तो फिर पूरा मामला उलट जायेगा. वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि अगर हस्ताक्षर फर्जी थे, तो उस समय उनकी ओर से किसी फाइल पर टिप्पणी या आपत्ति क्यों नहीं दर्ज की गई. बहरहाल, यह कोर्ट का मामला है. इससे पहले गत 8 दिसंबर को कोर्ट ने सुनवाई की तारीख तय की थी, लेकिन किसी कारणवश सुनवाई टल गई थी. कोर्ट का फैसला क्या आता है, यह तो भविष्य ही बताएगा. हां, इतना तय है कि अगर फर्जी हस्ताक्षर पर फैसला आया तो फिर नीचे के कर्मचारियों पर आफत टूटनी तय है. हस्ताक्षर की जांच होगी और उसमें कौन-कौन फंसते हैं, यह देखने वाली बात होगी.
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2014-15 में नगर पर्षद में एलइडी लाइट, हाइमास्ट लाइट, पोर्टेबल यूरिनल, लैपटॉप आदि की खरीद में करोड़ों रुपये की अनियमितता का मामला उजागर हुआ था. उसी मामले में निगरानी विभाग ने जांच कर अपने कोर्ट पटना में एफआइआर दर्ज करायी है. उधर नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव ने प्रथम दृष्टया कार्रवाई करते हुए नाजिया को पद से बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद नजमा बेगम नगर पर्षद की मुख्य पार्षद के पद पर काबिज हुई हैं, जो वर्तमान में भी हैं.

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