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नगर पंचायत बिक्रमगंज में नहीं है एक भी शौचालय व मूत्रालय

महिलाओं को होती है अधिक परेशानी बिक्रमगंज (रोहतास) : नगर पंचायत से नगर परिषद बनने को तैयार बिक्रमगंज शहर में न तोसार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था है और ना ही पर्याप्त यूरिनल की. शहर में आने वाले यात्रियों और दुकानदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. गौरतलब हो कि जिस शहर को 1971 में […]

महिलाओं को होती है अधिक परेशानी

बिक्रमगंज (रोहतास) : नगर पंचायत से नगर परिषद बनने को तैयार बिक्रमगंज शहर में न तोसार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था है और ना ही पर्याप्त यूरिनल की. शहर में आने वाले यात्रियों और दुकानदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. गौरतलब हो कि जिस शहर को 1971 में नगर पंचायत बनने का गौरव मिला उस नगर पंचायत की हालत आज भी वहीं है जो 1971 में थी . बदला है तो सिर्फ लोगों की भीड़ और समस्याओं का अंबार . आज तक ना किसी ने सुध ली नाही लेने की दिलचस्पी दिखाई.समय के हाथों नियति के भरोसे छोड़ दिया जहां तक पहुंचना है पहुंचो जहां रुकना है रुक जाओ.
सहकारिता सम्राट तपेश्वर सिंह की देन को छोड़ दिया जाय तो एक शौचालय और एक मूत्रालय के लिए भी तरस जाते है लोग यहां जिस शहर का नाम है बिक्रमगंज . कहते है कि तपेश्वर सिंह होते तो स्मार्ट शहरो में शुमार होता यह नगर पर बिना सारथी के जंग लगे रथ की तरह अपने खेवन हार की बाट जोह रहे बिक्रमगंज को आज भी किसी का इंतजार है. सुलभ इंटरनेशनल के द्वारा बनाये गए एक शौचालय को छोड़ दे तो 50 हजार की आबादी वाले इस नगर में कहीं शौच की व्यवस्था नहीं है.
और दो पुराने खंडहर को छोड़ दे तो पूरे शहर में अन्य कोई मूत्रालय नहीं है .जरा सोचिए घर से बाजार करने आई महिलाओं को अगर इस स्थिति का सामना करना पड़े तो क्या गुजरेगी उस महिला पर और किसे जिम्मेवार ठहराएगी . सन 1985 में तपेश्वर सिंह ने नगर में बने एक सार्वजनिक शौचालय और तीन मूत्रालय का उद्घाटन किया था .जो आज या तो ढह गया या फिर बदहाल है.
डॉ ध्रुवनारायण सिन्हा कहते है कि मेरे पिता स्वर्गीय डॉ शिवपूजन प्रसाद सिंह भोजपुर के दलीपपुर गांव में अपनी पूर्वजों की भूमि के बजाय यहां आ कर बस गए. पेशे से चिकित्सक होते हुए नौकरी के बाद यहां आ कर बसे. तब से आज कोई ख़ास बदलाव नहीं हुआ बिक्रमगंज में . जबकि इससे बाद में बने कई नगरों की कहानी इससे कई गुना बेहतर है. नोनहर निवासी विन्ध्यांचल सेठ की शादी बिक्रमगंज में हुई है. वे कहते हैं कि बहुत दुःख होता है कि यहां की स्थिति में कोई बदलाव नही हुआ
सुविधाओं के लिए लोग कल से भी बदतर स्थिति में रहने को मजबूर है. वहीं, ब्यूटीशियन कोर्स के प्रशिक्षक आरती गुप्ता कहती हैं कि नगर में महिलाओं की स्थिति पर किसी को कोई चिंता नही है. कई लड़कियों ने बताया कि नगर पंचायत और मार्केट मालिकों को भी इस बात की चिंता नहीं है कि शौच की समस्या पर महिलाओं को क्या होती है परेशानी . इस समस्या पर सबसे अधिक पीड़ित है महिला समाज जो एक गंभीर समस्या है .पर लोगों की जागरूकता की कमी की वजह से यहां रोजाना ही शर्मशार होना पड़ता है हमे.
खुले में शौच से मुक्त अभियान की निकली हवा : नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी सुरेश राम का कहना है कि बिक्रमगंज नगर पंचायत खुले में शौच से मुक्ति के लिए जन संपर्क और जागरूकता का अभियान चला रहा है. इसके तहत नगर के 251 लोगों को शौचालय निर्माण के लिए पहला क़िस्त 7500 हजार रूपये दे चुका है. जिसमे अभी तक मात्र 40 लोगों ने ही अपना शौचालय पूर्ण किया है. नगर पंचायत अब ऐसे लोगों पर कार्यवाई करेगा जिन्होंने पहली किस्त मिलने के बावजूद अभी तक शौचालय निर्माण पूरा नहीं हो पाया है.
बनेगा हर वार्ड में शौचालय और मूत्रालय
नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी सुरेश राम के अनुसार जल्द ही बैठक कर सभी वार्ड पार्षदों से हर वार्ड में सार्वजनिक शौचालय और मूत्रालय के लिए जगह चिन्हित कराया जायेगा. उसके बाद जल्द ही उसका निर्माण भी पूरा कराया जायेगा.
फोटो कैप्सन- तेंदुनी चौक पर स्थित सुलभ शौचालय
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