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नहीं पहुंचा वितरणियों में पानी
डेहरी (कार्यालय) : धान की खेती के लिए सोन नहर पर आश्रित किसानों को पानी का अभाव सताने लगा है. धान का कटोरा कहे जाने वाले शाहाबाद प्रक्षेत्र में सिंचाई का मुख्य साधन नहर ही है. रोहिणी नक्षत्र के शुरू होते ही बीज डालने के लिए तत्पर इस क्षेत्र के किसानों के खेतों में नहर […]
डेहरी (कार्यालय) : धान की खेती के लिए सोन नहर पर आश्रित किसानों को पानी का अभाव सताने लगा है. धान का कटोरा कहे जाने वाले शाहाबाद प्रक्षेत्र में सिंचाई का मुख्य साधन नहर ही है. रोहिणी नक्षत्र के शुरू होते ही बीज डालने के लिए तत्पर इस क्षेत्र के किसानों के खेतों में नहर का पानी अब तक नहीं पहुंचने से उनके माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गयी है.
कहने को तो कागजी खानापूर्ति के लिए बीते 25 मई से ही इंद्रपुरी बराज से नहर में 750 क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया था. बाद के दिनों में उक्त पानी की मात्रा को बढ़ाते हुए तीन हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का दावा विभागीय अधिकारी करते हैं. लेकिन, धरातल पर सच्चाई यह है कि अभी अधिकतर वितरिणयों में नहर का एक बूंद भी पानी नहीं पहुंचा है. पानी अभी साइफनों के मुंह के काफी नीचे बह रहा है. ऐसी स्थिति में खेतों की प्यास कैसे बुझेगी और जब प्यास ही नहीं बुझेगी, तो बीज कैसे डाले जायेंगे. यह अधिकारियों को सोचना चाहिए.
बोले किसान
अकोढ़ीगोला प्रखंड के किसान बच्चा सिंह, देवेनेवास पांडेय, धर्मेंद्र सिंह आदि कहते हैं कि सरकार का किसानों के खेतों को समुचित मात्रा में पानी देने का दावा टायं टायं फिश साबित हो रहा है.
केवल कागज पर नहरों में पानी छोड़े जाने का अधिकारियों का दावा धरातल पर नहीं दिखता. हमारे खेत अभी भी प्यासे है और अधिकारी दावा करते है कि मांग के अनुरूप नहरों में पानी छोड़ दिया गया है. ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि प्रदेश स्तर से विशेषज्ञों की एक टीम भेज कर सच्चाई का पता लगाये और बिचड़ा डालने के लिए प्रयासरत किसानों के खेतों तक अगर पानी नहीं पहुंचा है, तो इसके लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें
बोले अधिकारी
जल संसाधन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि सोन के ऊपरी क्षेत्र में बारिश नहीं होने के कारण पानी का आवक अभी कम है. बराज पर उपलब्ध पानी को मांग के अनुसार छोड़ा जा रहा है.
बुधवार को रिहंद से पांच हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने की खबर है जो दो चार दिनों में बराज तक पहुंच जायेगा. पानी की वस्तुस्थिति पर हर पल की रिपोर्ट वरीय अधिकारियों तक पहुंचायी जा रही है. अधिकारी उम्मीद जताते हैं कि किसानों को पानी की कभी नहीं होगी. मांग के अनुरूप में आपूर्ति करने के लिए विभागीय अधिकारी लगे हैं.
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